समाज का डर न खाकी का रौब

समाज का डर न खाकी का आलम यह है कि हाथ पकड़कर बड़ा करने वाली मां के अरमानों पर लोग पानी फेर रहे;

Update: 2017-12-11 13:54 GMT

गाजियाबाद। समाज का डर न खाकी का आलम यह है कि हाथ पकड़कर बड़ा करने वाली मां के अरमानों पर लोग पानी फेर रहे है। सरकार किसी की भी आए लेकिन महिलाओं पर जुल्म ढहाने वालों का कुछ नहीं बिगड़ पा रहा है। बलात्कार, दहेज उत्पीड़न, दहेज हत्या जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे है। 

सरकारी रिपोर्ट बताती है कि गाजियाबाद में महिला उत्पीड़न के केस घटने की बजाया बढ़ रहे है। रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2014-15 में दहेज हत्या के कुल 37 केस दर्ज हुए। तीन मामलों में सजा हुई है और 30 केस पेंडिंग है। 2015-16 में 37 केस दर्ज हुए। खास बात यह है कि चालू वर्ष में अभी तक ही दहेज हत्या के 39 केस दर्ज हो चुके है। वित्त वर्ष खत्म होने में तीन महीने बचे है। 2014-15 में बलात्कार के 109 केस दर्ज हुए। 2015-16 में आंकड़ा बढ़कर 132 पर पहुंच गया। 2016-17 में अब तक ही बलात्कार के 101 केस दर्ज हो चुके है।

महिला उत्पीड़न के 2014-15 में कुल 207 केस दर्ज हुए। 2015-16 में आंकड़ा बढ़कर 254 पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष में अब तक 248 केस दर्ज हो चुके है। इतना ही दहेज उत्पीडन के केस सबसे ज्यादा आ रहे है। 2014-15 में दहेज उत्पीड़न के कुल 505 केस दर्ज हुए। 2015-16 में आंकड़ा बढ़कर 526 पर पहुंच गया। 

यही नहीं 2016-17 में अब तक 499 केस दर्ज हो चुके है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दर्ज केसों में कोर्ट द्वारा सुनाई जाने वाली सजा का ग्राफ बहुत कम है। तीन साल में हुए तमाम केसों में केवल 35 मामलों में ही सजा हुई है।

महिला हेल्प लाइन हो या फिर महिला सुरक्षा के लिए किए जा रहे ढेरों प्रयास। सब बेका हो रहे है। यह स्थिति तब है जबकि पिछले सात सालों में जिले की तीन डीएम महिला रह चुकी है। वर्तमान डीएम भी महिला ही है। मेयर भी अब महिला है।

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