एनएमआरसी ने फिर मांगे 970 करोड़

एनएमआरसी की वर्तमान की परियोजनाओं के साथ भविष्य की परियोजनाओं पर ही ग्रहण लगाता दिख रहा;

Update: 2017-09-27 13:38 GMT

नोएडा। एनएमआरसी की वर्तमान की परियोजनाओं के साथ भविष्य की परियोजनाओं पर ही ग्रहण लगाता दिख रहा है। इसकी वजह शासन द्वारा एनएमआरसी की नोएडा, ग्रेटरनोएडा मेट्रो परियोजना में रूचि नहीं लेना है। दरसअल, एनएमआरसी  970 करोड़ रुपए के लिए बनाया गया एमओयू का प्रस्ताव चार बार शासन को भेज चुकी है।  लेकिन चारों बार एनएमआरसी को विफलता हाथ लगी। शासन की ओर से इसमे चौथी बार भी आपत्ति लगा दी गई। फिलहाल हाल ही में हुई बैठक के बाद पांचवीं बार शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। शासन प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजेगी। 

साझा समझौता पत्र (एमओयू) साइन होने के बाद केंद्र सरकार एनएमआरसी को मेट्रो परियोजना के लिए 970 करोड़ रुपए देगा। साथ ही शर्तो के अनुसार वर्तमान व भविष्य दोनों परियोजनाओं के फैसले में अहम भागीदारी भी केंद्र की होगी। दरअसल, यह एमओयू एनएमआरसी और शहरी विकास मंत्रालय के बीच किया जाएगा। जिसके बाद शहरी विकास मंत्रालय के सचिव एनएमआरसी के चेयरमैन बनाए जाएंगे।

वहीं एनएमआरसी बोर्ड में भी  केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल होंगे। केंद्र सरकार के कई अधिकारियों को एनएमआरसी में निदेशक का पदभार भी दिया जाएगा। बताते चले बोर्ड बैठक में एनएमआरसी द्वारा इसी एमओयू के चलते नए 59 पद स्वीकृत भी किए गए है। इन पदों पर भर्ती प्रतिनियुक्ति के आधार पर की जाएगी या फिर नई भर्ती होंगी। इसका फैसला भी एमओयू साइन होने के बाद ही लिया जाएगा। इसके लिए एनएमआरसी द्वारा चार बार प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है। लेकिन चारों बार शासन ने प्रस्ताव में आपत्ति लगा वापस भेज दिया। फिलहाल पांचवी बार शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। 

एनएमआरसी के अधिकारियों के मुताबिक पब्लिक इनवेस्टमेंट बोर्ड (पीआइबी) के जरिए शहरी विकास मंत्रालय की मंजूरी के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो परियोजना की कुल लागत का 20 प्रतिशत हिस्सा एनएमआरसी को दिया जाएगा। 

वहीं केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की एनएमआरसी में 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी हो जाएगी। इसके लिए एनएमआरसी और शहरी विकास मंत्रालय के बीच एमओयू साइन किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा इस परियोजना के लिए 970 करोड़ रुपए की केंद्रीय राशि दिए जाने का रास्ता साफ होगा। इसके साथ ही जब एनएमआरसी में केंद्र की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत हो जाएगी, तो एनएमआरसी के सभी परियोजना व सभी फैसलों में केंद्र की साझेदारी सीधे तौर पर जुड़ जाएगी।

एनएमआरसी के अधिकारियों के मुताबिक परियोजनाओं को तेज किए जाने में इस फैसले से मदद मिलेगी।  वहीं जिन भी परियोजनाओं को पूरा करने में अड़चन होगी, उसे दूर करने में केंद्र सरकार सक्रिय रूप से सहयोग करेगी। केंद्र की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होने के बाद निदेशक मंडल से लेकर बोर्ड सदस्यों में भी बदलाव किया जाएगा।

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