एनएचआरसी ने उप्र के डीजीपी से मांगा जवाब

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उप्र में हुई हिंसा के दौरान मानवाधिकारों के हनन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) सख्त हो गया है;

Update: 2019-12-25 23:12 GMT

लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उप्र में हुई हिंसा के दौरान मानवाधिकारों के हनन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) सख्त हो गया है। एनएचआरसी ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी. सिंह को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। डीजीपी को चार सप्ताह में जवाब सौंपना है। एनएचआरसी ने कई शिकायतों का संज्ञान लेते हुए डीजीपी को नोटिस जारी किया है। नोटिस में हिंसा के दौरान हुई मौतों, इंटरनेट सेवाओं को बाधित किए जाने और पुलिसकर्मियों द्वारा लोक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है।

आयोग को की गई शिकायतों में पूरे प्रदेश में एक साथ धारा 144 लागू कर लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोकने, इंटरनेट सेवाएं बाधित किए जाने से हुई दिक्कतों, पुलिसकर्मियों द्वारा तोड़फोड़ करने पर कोई कार्रवाई न किए जाने व कई बेकसूरों को उपद्रव के मामले में पकड़े जाने के आरोप लगाए गए हैं।

पुलिस का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हिंसात्मक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ वह अपनी कार्रवाई तेज कर रही है। सभी संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है।

डीजीपी ओपी सिंह का दावा है कि शनिवार शाम के बाद से सभी जिलों में स्थिति नियंत्रण में है और कहीं कोई हिंसक प्रदर्शन नहीं हुआ है। सोशल मीडिया पर निगरानी और बढ़ा दी गई है। मामले में प्रदेश में अब तक 213 केस दर्ज किए जा चुके हैं जबकि 925 'उपद्रवी' गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

आईजी कानून व्यवस्था प्रवीण कुमार ने सोमवार को बताया कि सभी जिलों में स्थिति सामान्य है। अराजक तत्वों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक व भ्रामक पोस्ट करने में अब तक 81 एफआईआर दर्ज कर 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही ट्विटर की 7,513 प्रोफाइल, फेसबुक की 9,076 प्रोफाइल और यू ट्यूब की 172 प्रोफाइल डिलीट कराई जा चुकी हैं।

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