संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाने की जरूरत, निष्पक्ष होकर चुनावी प्रक्रिया का विश्लेषण किया जाए
नई दिल्ली ! राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए चुनाव सुधार करने का आह्वान किया।;
नई दिल्ली ! राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए चुनाव सुधार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है जब संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाने के कानूनी प्रावधानों पर विचार किया जाए। 'आर्थिक सुधार, चुनावी मुद्दों के संदर्भ में' विषय पर एक सेमिनार के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि समय पर सुधार जरूरी होते हैं क्योंकि इससे न केवल लोगों को न्याय मिलता है बल्कि देश के संविधान में दर्ज आदर्शो से भी इंसाफ होता है।
राष्ट्रपति ने कहा, "इसलिए यह जरूरी है कि व्यवस्था की कमियों को समझने के लिए निष्पक्ष होकर हमारी चुनावी प्रक्रिया का विश्लेषण किया जाए।"
मुखर्जी ने कहा कि अतीत में आमतौर से केंद्र में गठबंधन सरकारें अस्थिर सरकारों की वजहें बनती थीं जिनके कारण बार-बार चुनाव की नौबत आती थी। उन्होंने कहा कि कमजोर गठबंधन नहीं टिकते। उन्होंने साथ ही मतदाताओं की जिम्मेदारी का मुद्दा भी उठाया।
राष्ट्रपति ने स्वस्थ बहस का आह्वान करते हुए कहा कि संसद महज सोच-विचार की जगह नहीं है बल्कि यह निर्णय लेने वाला निकाय है।
उन्होंने चुनाव सुधारों की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सीटों को बढ़ाने पर 1976 में लगाई गई रोक, जिसे 2001 में कानून के जरिए 2026 तक बढ़ा दिया गया, के कारण आज संसद 1971 की जनगणना का प्रतिनिधित्व कर रही है जबकि उसके बाद से देश की जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ चुकी है।
संसद की सीटों की संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा 1.28 अरब की जनसंख्या पर कुल 543 संसदीय सीट हैं। लोगों की इच्छा का सही प्रतिनिधित्व करने के लिए अब समय आ गया है कि सीटों का परिसीमन कर इनकी संख्या बढ़ाने के लिए कानूनी उपायों पर विचार किया जाए।
उन्होंने कहा, "अगर ग्रेट ब्रिटेन में 600 संसदीय सीट हो सकती हैं तो फिर भारत में क्यों नहीं? अधिक जनसंख्या है तो अधिक सीट होनी चाहिए।"
भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित सेमिनार में प्रधान न्यायाधीश जे.एस.केहर ने भी शिरकत की।