निर्भया कोष का नहीं हो रहा इस्तेमाल:महिला सुरक्षा दांव पर

नयी दिल्ली ! देश की राजधानी में चार साल पहले 23 दिसंबर को एक युवती के साथ हुई;

Update: 2017-03-26 22:11 GMT

नयी दिल्ली !   देश की राजधानी में चार साल पहले 23 दिसंबर को एक युवती के साथ हुई दुष्कर्म की दिल दहला देने वाली घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने के लिए गठित 1000 करोड़ रुपए के निर्भया कोष का बड़ा हिस्सा सरकारी उदासीनता के कारण अभी तक खर्च नहीं किया जा सका है।
गृह मंत्रालय की स्थायी ससंदीय समिति के अनुसार कोष का जो पैसा खर्च भी किया गया है वह किन्हीं और मदों पर व्यय हुअा है न कि महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े इंतजामों पर।
समिति ने अपने सुझाव में कहा है कि सरकार को इस बारे में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ी एक प्रभावी योजना बनानी चाहिए। समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बाल यौन साइबर अपराधों से जुड़े मामलों का खुलासा काफी कम हो पाता है। खुद राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो भी इसका कोई अलग आंकड़ा नहीं रखता है। ऐसे में यह बात हैरान करने वाली है कि कई राज्यों में ऐसे एक भी मामले नहीं होने की बात कही जाती है जबकि ऐसा बड़े स्तर पर हो रहा है। जो भी उपलब्ध आंकड़े हैं,वह भी इसी बात का संकेत देते हैं कि ऐसे अपराधों से निबटने के लिए सरकार के पास कोई सक्षम तंत्र है ही नहीं।
समिति का कहना है कि ऐसे हालात में कानून काे लागू कराने वाली एजेंसियों को बाल यौन साइबर अपराधों की चुनौतियों से अवगत कराना और उनसे प्रभावी तरीके से निबटने के बारे में अवगत कराया जाना जरुरी है। समिति का कहना है कि लोक लाज के कारण बाल यौन अपराधों के मामलों को अक्सर दबाने की कोशिश की जाती है। खुद घर
और परिवार वालों का इसमें बड़ा हाथ होता है और वह इस बारे पुलिस को इत्तला नहीं करते।
समिति के अनुसार लोगों को ऐसे अपराधों के बारे में खुलकर बताने के लिए सामने लाने के वास्ते ऐसे अपराधों की रिपोर्ट दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान और सुगम बनने के साथ ही अपराध का शिकार हुए बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की भी दरकार है।

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