नपा को नहीं मिल रही रैन बसेरा के लिए जगह
राज्य सरकार ने डेढ़ साल जिला मुख्यालय जांजगीर में रैन बसेरा के लिए 49 लाख रुपए सेंशन किया था, लेकिन अब तक धरातल पर रैनबसेरा का नामोनिशान तक नहीं है;
जांजगीर। राज्य सरकार ने डेढ़ साल जिला मुख्यालय जांजगीर में रैन बसेरा के लिए 49 लाख रुपए सेंशन किया था, लेकिन अब तक धरातल पर रैनबसेरा का नामोनिशान तक नहीं है। बताया जाता है कि पालिका को इस योजना के लिए अब तक जगह नहीं पाया जिसके चलते गरीबों को रात्रि विश्राम के लिए शासन की योजना का लाभ पाने अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।
रैनबसेरा के पीछे सरकार की मंशा है कि रोजी मजदूरी करने वाले बेघर लोगों को रात में आश्रय देना है। रैनबसेरा के लिए टेंडर जारी करने के बावजूद रकम आवंटित नहीं हुई। प्रस्तावित रैनबसेरा में बिस्तर, पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की योजना है। यहां आठ कमरों का रैनबसेरा निर्माण प्रस्तावित है।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के अनुसार शहरी बेघरों के लिए आश्रयों की स्थापना के लिए सभी नगरीय निकायों में रैन बसेरा बनाया जाना है। रैन बसेरा में अन्य सुविधाओं के अलावा बिस्तर, पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और मनोरंजन की सुविधाएं होगी। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत शौचालय भी बनाया जाना है। जिला मुख्यालय सहित अन्य शहरों में अधिकांश गरीब तबके के लोग स्वयं के घर के अभाव में रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड सहित शहर के फुटपाथों में आर्थिक तंगी के चलते रात गुजारते हैं। इसके चलते इन्हें कड़कड़ाती ठंड व बारिश के दिनों में बहुत परेशानी होती है। जिले में विगत कई वर्षो से रैन बसेरा की मांग की जा रही थी। इसके लिए नगरपालिका द्वारा प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। बीते दिसम्बर माह में जिला मुख्यालय में रैन बसेरा निर्माण करने की स्वीकृति मिली थी। राज्य शासन द्वारा जिला मुख्यालय में 48 लाख 95 हजार रूपए की स्वीकृति मिलने के बाद रैन बसेरा निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन स्वीकृति के डेढ़ साल बाद भी कार्य शुरू नहीं हो सका। जिला मुख्यालय में नगर पालिका द्वारा जिला अस्पताल के पास रैन बसेरा निर्माण के लिए स्थान का चिन्हांकन नहीं किया जा सका है।
बताया जाता है कि पूर्व में चयन किया गया स्थान उपयुक्त नहीं होने के चलते नयी जगह की तलाश की जा रही है। जिला मुख्यालय में आठ कमरों सहित एक हाल का निर्माण कराया जाना है। इसमें लोगों के रहने के अलावा पीने का पानी, शौचालय, बिजली, कंबल, हीटर और दवाओं की सुविधा दी जानी है। लेकिन स्वीकृति मिलने के डेढ़ साल बाद भी अब तक कार्य नहीं हो सका। ऐसे में यहां पहुंचे गरीब मुसाफिरों को होटल में अधिक रूपए खर्च करना पड़ रहा है।
बेघरों को मिलेगा लाभ
जिले में रैन बसेरा की सुविधा बेघर लोगों को मिलेगी। इसके अलावा ऐसे मुसाफिर जिनके पास होटल या लॉज में रूकने की व्यवस्था नहीं है, वे रैन बसेरा में रूक सकते हैं। रैन बसेरा बन जाने से फुटपाथ, रेलवे व बस स्टैण्ड में रात गुजराने वालों को भी इससे राहत मिलेगी। इसके लिए रैन बसेरा में रहने वाले लोगों से नाममात्र का शुल्क लिया जाएगा। इसका निर्धारण नगरपालिका द्वारा किया जाएगा। जिनके पास मामूली शुल्क भी नहीं होगा उन्हें छूट भी दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का सुझाव
केंद्र्र व राज्य शासन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत बेहतर जीवन के लिए सभी बेघरों को ठिकाना मिले, इसके लिए बिना किसी निर्देश के सरकार को प्रयास करना चाहिए। इधर विभागीय सूत्रों का कहना है कि शासन द्वारा जिला मुख्यालय में रैन बसेरा निर्माण की स्वीकृति मिली है। रैना बसेरा निर्माण के लिए टेण्डर भी जारी किया गया था, लेकिन विभागीय त्रुटि के कारण यहां राशि का आंबटन नहीं हो सका। शहर में रैनबेसरा के लिए नए सिरे से योजना तैयार इसका क्रियान्वयन किया जाएगा।
रैन बसेरा के लिए जगह की मांग की गई है- सीएमओ
इस संंबंध में नपा जांजगीर-नैला के मुख्य नगर पालिका अधिकारी दिनेश कोसरिया ने बताया कि रैन बसेरा के लिए शासन से जमीन की मांग की गई है। इस संबंध में कलेक्टर स्वयं रूचि लेते हुये राजस्व विभाग को जगह चयन के लिए निर्देशित किये है। जगह मिलने के बाद काम शुरू कर दिया जायेगा।