रेरा के खिलाफ हाइकोर्ट में नेफोवा की याचिका मंजूर

रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट के प्रावधानों में प्रदेश सरकार द्वारा बदलाव के साथ राज्य में लागू किए जाने के बाद नेफोवा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रेरा एक्ट में छेड़छाड़ किये जाने के खिलाफ हाईकोर्टमें याचिका;

Update: 2017-09-19 13:41 GMT

नोएडा।  रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (रेरा) के प्रावधानों में प्रदेश सरकार द्वारा बदलाव के साथ राज्य में लागू किए जाने के बाद नेफोवा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रेरा एक्ट में छेड़छाड़ किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था। याचिका को अदालत ने मंजूर कर लिया है। 

नेफोवा के महासचिव इंद्रीश कुमार ने बताया कि राज्य में लागू एक्ट के तहत निमार्णाधीन प्रोजेक्ट की परिभाषा केंद्र द्वारा पारित रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डिवलेपमेंट एक्ट (2016) में उल्लेखित परिभाषा से भिन्न है।

 राज्य सरकार द्वारा लागू रेरा के अंतर्गत जिन प्रोजेक्ट के लिए एक्ट की अधिसूचना जारी किए जाने की तारीख 27 अक्टूबर 2016 से पहले कम्पलीशन सर्टिफिकेट या ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास आवेदन कर दिया गया है, वे प्रोजेक्ट रेरा एक्ट के दायरे में नही आएंगे। राज्य में रेरा एक्ट लागू किये जाने की घोषणा के साथ ही कई बिल्डर ने आधे अधूरे प्रोजेक्ट के कम्पलीशन सर्टिफिकेट के लिए प्राधिकरण में आवेदन कर दिया था। प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से नोएडा व ग्रेटर नोएडा के कई प्रोजेक्ट को तो बिना किसी जांच के कम्पलीशन सर्टिफिकेट मुहैया भी करा दिया गया है।

साथ ही, राज्य सरकार द्वारा लागू एक्ट में कॉमन एरिया की परिभाषा को भी बदल दिया गया है। पजेशन में देरी होने पर केंद्र के रेरा एक्ट के प्रावधान में बिल्डर को पूरे प्रोजेक्ट कास्ट का दस प्रतिशत जुर्माने का उल्लेख था, लेकिन राज्य में लागू एक्ट में इसे भी बदल दिया गया है। 

ढाई लाख फ्लैट बायर्स प्रभावित

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ही करीब ढाई लाख फ्लैट खरीदार प्रोजेक्ट पूरा होने में हो रही देरी से प्र•ाावित है। 2010-11 में घर बुक कराने के बाद अभी तक घर नही मिल पाने की दशा में यदि रेरा एक्ट लागू होने के बाबजूद उन्हें कोई राहत नही मिलती है, और राज्य सरकार द्वारा उनके प्रोजेक्ट को रेरा के दायरे से बाहर रखा जाता है, तो ये लाखो फ्लैट खरीदारों के साथ धोखा होगा। 

बिना संसोधन किए लागू किया रेरा

नेफोवा के साथ हजारों की संख्या में फ्लैट खरीदार पिछले चार-पांच सालों से रियल एस्टेट रेगुलेटरी बिल को पास कराए जाने के लिए लगातार संघर्षरत थे। इस उम्मीद में कि रेरा आने से उनके घर का सपना जल्द पूरा हो सकेगा और पजेशन में हुई देरी के लिए उन्हें उचित मुआवजा भी मिलेगा। लेकिन पिछली उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा रेरा एक्ट को जिन प्रावधानों को बदलाव के साथ अक्टूबर, 2016 में नोटिफिकेशन जारी किया गया था, उन्ही बदले हुए प्रावधानों के साथ वर्तमान राज्य सरकार ने रेरा एक्ट  को लागू 
कर दिया। 

योगी से लेकर राजनाथ सिंह ने दिया था आश्वासन

इस सम्बंध में नेफोवा बार बार योगी सरकार से अपील करती रही कि राज्य में रेरा को उसी तरह लागू किया जाए, जैसे केंद्र सरकार ने पारित किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के साथ हुई मीटिंग में ये भरोसा भी दिलाया गया था कि केंद्र द्वारा पारित एक्ट को बिना छेड़छाड़ के ही राज्य में लागू किया जाएगा।

स्थानीय विधायक  पंकज सिंह के साथ भी नेफोवा की टीम इस मुद्दे को लगातार उठाती रही। चुनाव के समय भी जब नेफोवा ने नो हाउस नो वोट का कैम्पेन चलाया था, उसके बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने भी भरोसा दिलाया था कि अगर चुनाव में उनकी सरकार जीतती है, तो रेरा एक्ट को बिना किसी बदलाव  के राज्य में लागू किया जाएगा। लेकिन राज्य सरकार द्वारा रेरा एक्ट को बिल्डर के पक्ष में प्रावधानों को बदल दिए जाने से होम बायर में काफी निराशा है। 

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