ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम संस्थाओं को दखल नहीं देना चाहिए : जमीयत उलमा-ए-हिंद

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को कानूनी सहायता देने का फैसला लिया;

Update: 2022-05-19 09:41 GMT

नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को कानूनी सहायता देने का फैसला लिया। इसके बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि मुस्लिम संगठनों की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और लोगों को भड़काया नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद भारत के सभी लोगों, विशेषकर मुसलमानों से सहानुभूतिपूर्वक अपील करता है कि उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर सड़कों पर नहीं उतरना चाहिए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचना चाहिए।

मदनी ने कहा, "इस संबंध में मस्जिद इंतेजामिया कमेटी (मस्जिद प्रबंधन समिति) देश की विभिन्न अदालतों में एक पार्टी है। माना जाता है कि यह इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेगी। देश के अन्य मुस्लिम संगठनों से सीधे हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया जाता है। इस मामले में किसी भी अदालत में अगर वे सहायता करना चाहते हैं, तो वे मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के जरिए ऐसा कर सकते हैं।"

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने यह भी कहा कि विद्वानों और सार्वजनिक वक्ताओं से इस मुद्दे पर टीवी बहस और चर्चा में भाग लेने से परहेज करने का आग्रह किया जाता है। मामला विचाराधीन है, इसलिए भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया भाषण किसी भी तरह से देश और राष्ट्र के हित में नहीं है।

मदनी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर इन दिनों न्यायिक स्तर पर चर्चा हो रही है और कुछ शरारती तत्व और पक्षपाती मीडिया धार्मिक भावनाओं को भड़काकर दोनों समुदायों के बीच कलह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

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