वादे के अनुरुप विकास दर हासिल नहीं कर पाई मोदी सरकार : चिदम्बरम

पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर देश की अर्थ व्यवस्था को चौपट करने का आरोप लगाते हुए कहा मोदी ने विकास दर को दो अंकों में ले जाने का वायदा किया था;

Update: 2018-12-02 01:22 GMT

जयपुर। पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर देश की अर्थ व्यवस्था को चौपट करने का आरोप लगाते हुये कहा मोदी ने विकास दर को दो अंकों में ले जाने का वायदा किया था जबकि गत साढे चार साल में विकास दर केवल सात प्रतिशत बतायी जा रही है।

श्री चिदम्बरम ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुये कहा कि मौजूदा सरकार ने वर्ष 2014 में लोगों से तरह तरह के वादे किये लेकिन उनमें से अधिकांश पूरे नहीं किये गये। अर्थ व्यवस्था में विकास दर भी वादों के अनुरुप नहीं बढ़ पायी। उन्होंने कहा कि सात प्रतिशत विकास दर में गम्भीर चिंताएं उत्पन्न होती है क्योंकि इससे नए रोजगार उत्पन्न नहीं होते, इससे बचत नहीं बढ़ती, यह पूंजी निवेश को बढ़ावा नहीं देती यह निर्यात को नहीं बढ़ाती। 

इसके अलावा यह विकास दर कृषि पर विपरीत असर डालती है जबकि 60 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। यह विकास दर कृषि आय और कृषि मजदूरी को भी नहीं बढ़ाती, यह कृषि उत्पाद के उचित मूल्य भी नहीं दिलाती और यह किसानों के कर्ज को बढ़ाने के साथ उनके संकट को और अधिक बढ़ाती है। 

उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था का प्रत्येक सूचकांक नीचे की ओर जा रहा है। बचत, निवेश, औद्योगिक क्षेत्र व एमएसएमई को ऋण में बढ़त (क्रेडिट ग्रोथ), निर्यात और मूल्य यह सभी अर्थव्यवस्था में ऋणात्मक स्तर पर हैं। बड़ी कम्पनियां इतनी अधिक दिवालिया कभी नहीं हुई। इतनी परियोजनाएं कभी भी बंद नहीं हुई। इतने खाते कभी भी एनपीए नहीं हुए। बैंकों को ऋण देने से रोकने का काम इतना पहले कभी नहीं हुआ हर तरफ प्रत्येक क्षेत्र में संकट की स्थिति बनी हुई है।

हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे देश के युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण नकारात्मक स्थिति बढ़ती हुई बेरोजगारी है। भाजपा द्वारा प्रतिवर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वायदा उसी तरह जुमला साबित हुआ है जिस प्रकार चुनाव के समय भाजपा ने अनेक वायदे किए थे और पूरा करने में विफल रही है। उन्होंने दावा किया कि 2014 में विरासत में मिली मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत करने तथा दो अंकों वाली विकास दर हासिल करने की बजाय भाजपा ने एक सुअवसर को गंवा दिया। भाजपा ने कच्चे तेल की कम कीमतों के बहुमूल्य उपहार को भुनाने का अवसर भी गंवा दिया।

नोटबंदी के मूर्खतापूर्ण कदम को उठाकर मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंचाई है। विश्व के एक भी प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री ने नोटबंदी के बारें में अच्छी राय व्यक्त नहीं की। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद त्रुटिपूर्ण जीएसटी के कारण देश की अर्थव्यवस्था को दोहरी मार झेलनी पड़ी है। उन्होंने राज्य में वसुंधरा सरकार पर भी हर मोर्चे पर विफल रहने का अारोप लगाया।

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