जीडीए पहुंचे मंडलायुक्त ने कसे प्रोपर्टी व प्रवर्तन विभाग के पेंच
मंडलायुक्त प्रभात कुमार सोमवार को अचानक गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आ धमके;
गाजियाबाद। मंडलायुक्त प्रभात कुमार सोमवार को अचानक गाजियाबाद विकास प्राधिकरण आ धमके। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान प्रोपर्टी और प्रवर्तन अनुभाग के पेंच कसे। मंडलायुक्त ने जीडीए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि जीडीए की आय बढ़ाने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें।
प्रवर्तन विभाग को मंडलायुक्त ने हिदायत दी कि नोटिस जारी करने और चालान काटने भर से काम नहीं चलेगा, शमन योग्य निर्माणों का शमन कराने में तेजी लाई जाए। उन्होंने जीडीए की शमन शुल्क के दो सौ करोड़ रुपए के लक्ष्य को बढ़ाकर पांच सौ करोड़ रुपए कर दिया। पिछली बैठक की समीक्षा के दौरान मंडलायुक्त ने कंप्लायंस पर नाराजगी जाहिर की। जीडीए के प्रभारी वीसी और सचिव रवींद्र मधुकर गोडबोले ने बताया कि मंडलायुक्त ने जीडीए द्वारा मेंटेन की जा रही छह कालोनियों में पिछले तीन वर्षों के दौरान हुए आय और व्यय का ब्यौरा तलब किया है।
बता दें कि इंदिरापुरम, तुलसी निकेतन, कोयल एंकलेव और स्वर्ण जयंतीपुरम समेत छह कालोनियों का रखरखाव जीडीए आदि खुद ही कर रहा है। ये कालोनियों नगर निगम को हस्तगत नहीं हो पाई हैं। मंडलायुक्त ने पूछा है कि इन कालोनियों में जीडीए मेंटेनेंस की मद में कितना पैसा खर्च करता है और कितना पैसा मेंटेनेंस शुल्क के रूप में जीडीए को मिलता है। मंडलायुक्त ने मधुबन-बापूधाम आवासीय योजना की बाकी बची जमीन के अधिग्रहण के बारे में भी जानकारी हासिल की।
बता दें कि करीब एक वर्ष पूर्व उक्त जमीन के लिए अधिग्रहण के लिए सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया था। फैसला में कोर्ट ने जीडीए को नए भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत अधिग्रहण के लिए 26 नवम्बर तक का समय दिया था। जीडीए इस जमीन के अधिग्रहण के लिए हुडको से सात सौ करोड़ का लोन ले रहा है। करीब चार सौ करोड़ रुपए की व्यवस्था जीडीए अपने सोर्सेज से करेगा। मंडलायुक्त ने 15 नवम्बर को फिर से समीक्षा करने की बात कही है।
और अफसरों की बढ़ा गए धड़कन
मंडलायुक्त सोमवार को अचानक जीडीए आ धमके। सीएटीपी और चीफ इंजीनियर गायब मिले तो बेहद नाराज हुए। सचिव ने उनके बैठक में जाने की बात बताकर मामला संभाला। उसके बाद कुछ बाबुओं को फाइल लेकर बुलाया तो अवर अभियंताओं को कड़ी फटकार लगाई। बोले कि एक ही जोन में सैकड़ों अवैध निर्माण चल रहे है। कंपाउडिग केवल 42 करोड़ होना संदेह के घेरे में है। खास बात यह है कि मण्डलायुक्त ने मधुबन-बापूधाम योजना में हुए सामान खरीद का पूरा स्टेटस मांग लिया। इस पर वे 15 नवम्बर को बड़ी कार्रवाई करने का संकेत दे गए है।