कमजोरी को अपनी ताकत बनाएं : कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिव्यांगों से आह्वान किया है कि वे अपनी प्रतिभा को पहचानें, क्योंकि यही प्रतिभा जिंदगी में आगे बढ़ने का आत्मबल देती है;

Update: 2018-02-11 21:30 GMT

ग्वालियर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिव्यांगों से आह्वान किया है कि वे अपनी प्रतिभा को पहचानें, क्योंकि यही प्रतिभा जिंदगी में आगे बढ़ने का आत्मबल देती है। इतना ही नहीं, शारीरिक कमजोरी को जिंदगी पर हावी न होने दें, बल्कि कमजोरी को अपनी ताकत बनाएं। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रविवार को आयोजित नि:शुल्क सहायक उपकरण वितरण समारोह में राष्ट्रपति ने दिव्यांगों से कहा, "उपकरण सहयोग के लिए हैं, उन्हें सहारा न बनाएं। अपनी प्रतिभा और छिपी ताकत को जगाएं, फिर ये धरती और आसमां आपका होगा।"

राष्ट्रपति ने आगे कहा, "केंद्र व राज्य सरकार मिलकर न केवल दिव्यांगों को सहायक उपकरण मुहैया करा रही है, बल्कि उनके समग्र कल्याण की दिशा में समावेशी शिक्षा, कौशल विकास, रोजगार व सामाजिक सुरक्षा के लिए भी शिद्दत के साथ प्रयासरत है। दिव्यांग व वृद्धजन को सरकार द्वारा अत्याधुनिक सहायक उपकरण मुहैया कराए जा रहे हैं। सरकार इस लक्ष्य के साथ काम कर रही है कि कोई भी दिव्यांग बगैर सहायता के न रहे।"

उन्होंने सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारी एवं निजी क्षेत्रों में दिव्यांगों के लिए रोजगार के अवसर पर भी तलाशे जा रहे हैं। भारत सरकार ने नौकरियों में दिव्यांगों के आरक्षण का कोटा तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है। दिव्यांगों के लिए आरक्षित रिक्त पदों को भरने के लिए भी सरकार विशेष अभियान चला रही है।"

कोविंद ने कहा कि देश में ऐसे कई दिव्यांगों के उदाहरण मौजूद हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं। उन्होंने अंडर-19 क्रिकेटर चेन्नई की प्रीति श्रीनिवासन, दिव्यांग दीपा मलिक व सज्जन सिंह गुर्जर का जिक्र किया और प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना सुधा चंद्रन का उदाहरण देते हुए कहा कि अपने पैरों की कमजोरी को ताकत बनाकर नृत्य के क्षेत्र में देश ही नहीं, दुनियाभर में नाम कमाया। इसी तरह दृष्टिबाधित जगतगुरुराम भद्राचार्य ने 120 पुस्तकें लिखीं और चित्रकूट में उनके द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान से निकले दिव्यांग दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। 

राष्ट्रपति ने त्रेतायुगीन ऋषि अष्टावक्र की प्रेरणादायक कहानी सुनाकर भी दिव्यांगों को प्रोत्साहित किया।

मेगा कैम्प में 4271 दिव्यांग व वरिष्ठ नागरिकों को लगभग दो करोड़ 90 लाख रुपये लागत के 8108 कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण प्रदान किए गए। साथ ही ग्वालियर जिले को 'दिव्यांग मित्र' बनाने के लिए चलाए गए अभियान के तहत चिन्हित किए गए करीबन 1400 दिव्यांगजनों को रोजगार, स्वरोजगार व नौकरी के प्रमाणपत्र सौंपे गए। 

शिविर के आयोजन में भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी (हरियाणा), मध्यप्रदेश सरकार, ग्वालियर जिला प्रशासन एवं एलिम्को तथा धरा फाउंडेशन का योगदान रहा। 

इस अवसर पर मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के राज्यपाल प्रो़ कप्तान सिंह सोलंकी, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, केंद्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह और उच्च शिक्षा एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री जयभान सिंह पवैया मौजूद रहे।

इससे पहले, राष्ट्रपति कोविंद विशेष विमान से ग्वालियर पहुंचे। विमानतल पर राज्यपाल आनंदीबेन, मुख्यमंत्री शिवराज सहित अन्य लोगों ने उनका स्वागत किया।

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