लॉकडाउन-2 : मुंबई में फंसे हैं बांदा के डेढ़ सौ मजदूर

कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए बुधवार से तीन मई तक बढ़ाये गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मजदूरों की आफत है;

Update: 2020-04-15 23:34 GMT

बांदा (उप्र)। कोरोनावायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए बुधवार से तीन मई तक बढ़ाये गए लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मजदूरों की आफत है। अकेले महाराष्ट्र के मुंबई के दिवाला गांव में बांदा जिले के डेढ़ सौ से ज्यादा मजदूर फंसे हैं। ये सभी झुंड में मंगलवार को पैदल रवाना तो हुए, लेकिन वहां की पुलिस ने जबरन फिर वापस कर दिया है।

प्रधानमंत्री द्वारा मंगलवार को देश के नाम अपने संबोधन में बुधवार (15 अप्रैल) से एक बार फिर से तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ाने के बाद महानगरों में फंसे मजदूरों की सांस अटक गयी है। इन मजदूरों को उम्मीद थी कि 14 अप्रैल से खत्म होने जा रहे लॉकडाउन के बाद वे अपने घरों को वापस हो जाएंगे।

महाराष्ट्र के मुंबई महानगर के दिवाला गांव (बेलापुर सीबीडी सेक्टर) से बुधवार को 'आईएएनएस' को भेजे व्हाट्सएप संदेश में बांदा जिले के गौर-शिवपुर (नरैनी) के मुन्ना निषाद व बिरिन्दा निषाद ने बताया, इस क्षेत्र में बांदा जिले के विभिन्न गांवों के करीब डेढ़ सौ से ज्यादा मजदूर फंसे हैं। कंपनियां बंद होने से उनके सामने रोटी का संकट पैदा हो गया है। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महाअघाड़ी सरकार भी कोई मदद नहीं कर रही है।

संदेश में मजदूरों ने बताया, मंगलवार को करीब डेढ़ सौ लोगों का एक समूह अपने घर के लिए करीब सात किलोमीटर पैदल निकल भी चुके थे, लेकिन पुलिस ने पिटाई कर जबरन फिर से वापस कर दिया है। उनके इलाके में सरकारी या गैर सरकारी लंच पैकेट भी नहीं बंट रहे, जिससे कई मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं।

बिरिन्दा ने बताया, एक हफ्ते से एक भी पैसा नहीं था, आज घर वालों से दूसरे साथी के खाते में एक हजार रुपये मंगवाया है, तब आज आटा-भांटा का कुछ इंतजाम हो सका है।

गौर गांव के मुन्ना और सहेवा गांव के पप्पू यादव ने अपने संदेश में बताया कि 'बांदा के सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने अपने फेसबुक अकाउंट में अपने दो नम्बर पोस्ट कर कहा था कि बांदा के जो लोग गुजरात, पंजाब, मुंबई आदि जगहों में हैं, उन्हें कोई कठिनाई है तो संपर्क करें। लेकिन, उनके दिए नम्बरों पर फोन किया तो जवाब मिला कि कोई मदद नहीं कर सकते।'

हालांकि, इन मजदूरों की मदद के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कहा कि अन्य प्रांतों में फंसे लोगों की मदद के लिए कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। जल्द ही उनके संपर्क नम्बर विज्ञापन के तौर पर अखबारों में दिए जाएंगे, ताकि फंसे लोग उस प्रान्त के नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क कर मदद ले सकें।

लेकिन, इन मजदूरों की हिम्मत डोल गयी है और वे सिर्फ यह चाहते हैं कि विदेशों में फंसे लोगों को निकालकर स्वदेश ले जाने वाली तर्ज पर सरकार किसी तरह उन्हें उनके घर तक पहुंचा दे।

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