समाज और लोगों को जोड़ता है साहित्य : राष्ट्रपति मुर्मू
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष‘ के साथ ही लोक और जनजातीय कला महोत्सव ‘उत्कर्ष‘ का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उद्घाटन करते हुए कहा कि समाज और लोगों को साहित्य जोड़ता है;
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ‘उन्मेष‘ के साथ ही लोक और जनजातीय कला महोत्सव ‘उत्कर्ष‘ का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उद्घाटन करते हुए कहा कि समाज और लोगों को साहित्य जोड़ता है।
रवींद्र भवन में आयोजित समारोह में देशभर के अलग-अलग हिस्सों से जनजातीय वर्ग के कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य समाज से जोड़ता है और लोगों को भी एक-दूसरे से जोड़ता है।
उन्होंने कहा कि वही साहित्य और कलाएं सार्थक हैं जो ‘मैं‘ और ‘मेरा‘ से ऊपर उठकर रची और प्रस्तुत की गईं। सभी भारतीय भाषाओं की प्रमुख कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद भारतीय साहित्य को और समृद्ध करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य ने मानवता को आईना दिखाया है, बचाया भी है और आगे भी बढ़ाया है। साहित्य और कला ने संवेदना और करुणा को, यानी मनुष्य की मानवता को सुरक्षित रखा है। मानवता की रक्षा के इस परम पवित्र अभियान में भागीदार बनने के लिए लेखक एवं कलाकार प्रशंसा के पात्र हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों को ताकत दी। देश के कोने-कोने में अनेक लेखकों ने स्वतंत्रता एवं पुनर्जागरण के आदर्शों को अभिव्यक्ति दी। भारतीय पुनर्जागरण और स्वतंत्रता संग्राम के काल में लिखे गए उपन्यास, कहानियां, कविताएं और नाटक आज भी लोकप्रिय हैं और इनका हमारे मन पर व्यापक प्रभाव है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कई चुनौतियों का सामना कर रहे विश्व में हमें विभिन्न संस्कृतियों और मान्यताओं के लोगों के बीच बेहतर समझ बनाने के प्रभावी तरीके खोजने होंगे। इस प्रयास में कहानीकारों और कवियों की केंद्रीय भूमिका है क्योंकि साहित्य में हमारे अनुभवों को जोड़ने और मतभेदों को दूर करने की अद्वितीय क्षमता है।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी साझी नियति को उजागर करने और अपने वैश्विक समुदाय को मजबूत करने के लिए साहित्य की क्षमता का उपयोग करना चाहिए। भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए जनजातीय भाई-बहनों की प्रगति आवश्यक है। जनजातीय युवा भी अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं। हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि वे अपनी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज और प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करते हुए विकास में भागीदार बनें।
इस मौके पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अनेक लोग मौजूद रहे।