कर्नाटक में नफरती भाषण पर होगी 7 साल तक की सजा, विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बना

कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कर्नाटक नफरती भाषण और नफरती अपराध (रोकथाम) विधेयक को विधान परिषद में पेश किया। विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच यह विधेयक पारित हो गया।;

Update: 2025-12-19 21:20 GMT

बेंगलुरु : कर्नाटक में नफरती भाषण पर अब सात साल तक की सजा हो सकती है। विपक्षी दलों के विरोध के बीच विधानसभा के बाद राज्य विधान परिषद ने भी शुक्रवार को इसे मंजूरी दे दी। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। इस कानून के तहत किसी संगठन या संस्थान द्वारा अपराध किए जाने पर हर व्यक्ति जो, अपराध के समय जिम्मेदार होगा उसे दोषी माना जाएगा। आरोपितों को साबित करना होगा कि उसने ऐसे अपराध को रोकने के लिए सभी उचित सावधानी बरती। नफरती भाषण के खिलाफ विधेयक पारित करने वाला कर्नाटक देश का पहला राज्य बन गया है। भाजपा ने इसे विपक्ष के खिलाफ 'ब्रह्मास्त्र' और क्रूर करार दिया है।


जमानत मिलना बेहद कठिन 
कार्यकारी मजिस्ट्रेट या विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट या उप पुलिस अधीक्षकों को अधिकार दिया गया है कि यदि उन्हें आशंका होगी कि उनके अधिकार क्षेत्र में कोई व्यक्ति या समूह इस कानून के तहत अपराध करेगा तो वे "निवारक कार्रवाई" कर सकेंगे। प्रस्तावित कानून के तहत नफरती भाषण के मामले में जमानत मिलना बेहद कठिन होगा।

विरोध के बीच यह विधेयक पारित
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कर्नाटक नफरती भाषण और नफरती अपराध (रोकथाम) विधेयक को विधान परिषद में पेश किया। विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच यह विधेयक पारित हो गया। भाजपा के एमएलसी सीटी रवि ने कहा कि जब यह विधेयक कानून बनेगा तो यह "राजनीतिक प्रतिशोध का खतरनाक उपकरण" बन जाएगा। यह कानून यह राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र लाइसेंस देगा। विपक्ष के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि इसका उपयोग राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ "झूठे मामलों" को दर्ज करने के लिए किया जाएगा। भाजपा के एमएलसी केसी नवीन ने कहा कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है। इसकी वैधता को अदालत चुनौती दी जा सकती है।

समाज के स्वास्थ्य की रक्षा और शांति के लिए विधेयक
गृह मंत्री परमेश्वर ने कहा कि नफरती और साम्प्रदायिक भाषणों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी को नियंत्रित करने या राजनीतिक दुर्भावना से नहीं लाया गया है। इसे समाज के स्वास्थ्य की रक्षा और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। इस बीच केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने राज्यपाल गवर्नर थावरचंद गेहलोत से इस विधेयक को मंजूरी नहीं देने की अपील की है। उन्होंने राज्यपाल से संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के विचार के लिए विधेयक को सुरक्षित रखने का अनुरोध किया ताकि संवैधानिक शासन, लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं और कानून के शासन के व्यापक हित में विचार किया जा सके।

विधेयक के प्रविधान
- इस विधेयक में नफरती अपराध के लिए एक साल की जेल की सजा का प्रविधान है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- बार-बार अपराध करने पर अधिकतम सजा सात साल होगी साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा। प्रस्तावित कानून के तहत अपराध गैर-जमानती होंगे।
- राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकारी को किसी सेवा प्रदाता, मध्यस्थों, व्यक्ति को नफरती अपराध कंटेंट को ब्लाक या हटाने का निर्देश देने का अधिकार होगा।

क्या है "नफरती भाषण"
विधेयक में "नफरती भाषण" को परिभाषित किया गया है। इसके तहत किसी भी पक्षपातपूर्ण हित को पूरा करने के लिए जीवित या मृत व्यक्ति, वर्ग या व्यक्तियों या समुदाय के खिलाफ शत्रुता या घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा करने के इरादे से सार्वजनिक रूप से बोले गए या लिखित शब्दों में या संकेतों द्वारा प्रकाशित या प्रसारित अभिव्यक्ति नफरती भाषण है। पक्षपातपूर्ण हित का मतलब धर्म, नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, यौन रुझान, जन्म स्थान, निवास, भाषा, दिव्यांगता या जनजाति के आधार पर होने वाला भेदभाव है। नफरत भरे भाषण का संचार, प्रकाशन या प्रसार या किसी भी ऐसे कार्य जो किसी व्यक्ति के खिलाफ दुश्मनी या नफरत या द्वेष की भावनाएं पैदा करने के लिए करता है उसे "नफरत अपराधी" माना जाएगा।

सामाजिक बहिष्कार में होगी तीन साल की जेल
कर्नाटक विधान परिषद ने सामाजिक बहिष्कार को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक को भी शुक्रवार को पारित किया। विधेयक विधान सभा से पहले ही पारित हो चुका है। कर्नाटक सामाजिक बहिष्कार (निवारण, प्रतिबंध और निवारण) विधेयक, 2025 के प्रविधान के तहत किसी व्यक्ति या समूह का सामाजिक बहिष्कार अपराध होगा। इस विधेयक में उल्लंघन के लिए तीन साल तक की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है।

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