कोरेाना मरीजों की रिकवरी दर 26 प्रतिशत से अधिक हुई
देश में जहां एक तरफ कोरोना मरीजों की संख्या में बढोत्तरी दर्ज की जा रही है वहीं सकारात्मक बात यह भी है कि कोरोना के ठीक होने वाली मरीजों की दर में भी इजाफा हो रहा है।;
नयी दिल्ली। देश में जहां एक तरफ कोरोना मरीजों की संख्या में बढोत्तरी दर्ज की जा रही है वहीं सकारात्मक बात यह भी है कि कोरोना के ठीक होने वाली मरीजों की दर में भी इजाफा हो रहा है। पिछले 24 घंटों में कोरोना से संक्रमित 682 लोगों के स्वस्थ होने के साथ ऐसे लोगों की संख्या 10633 पर पहुंच गयी है तथा इनकी रिकवरी दर बढ़कर 26 प्रतिशत से अधिक हो गयी है।
केन्द्र सरकार देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के मामलों की रोकथाम, नियंत्रण और इनसे निपटने के प्रयासों की उच्च स्तर पर निगरानी रख रही है तथा इसी के अनुसार आगे की रणनीति भी बना रही है और लॉकडाउन के तीसरे चरण में केन्द्र सरकार ने कोरोना पीड़ित क्षेत्रों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं
स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या को देखते हुए रेड और ग्रीन जोन के बारे में नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं और इनमें कोरोना के कुल मामलों की संख्या तथा उनके दुगुना होने की दर प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा वहां नमूने जांच की दर और जनसंख्या घनत्व को भी ध्यान में रखा जाना है। इसी को देखते हुए रेड और ओरेंज जोन को पुन: परिभाषित किया गया है। इन क्षेत्रों में विषाणु संक्रमण को रोकने के लिए उपयुक्त ‘कंटेनमेंट स्ट्रैटिजी’ अपनाई जानी जरूरी है। इस कंटेनमेंट जोन के बाहर के क्षेत्र को घेरकर उपयुक्त रणनीति बनाई जानी है लेकिन अगर इसके बाहर के क्षेत्र यानी बफर जोन में कोई भी केस नहीं आ रहा है और इसके बाहर के क्षेत्र में कुछ गतिविधियों में छूट दी जा सकती है।
किसी भी राज्य अथवा जिले चाहे वे रेड जोन हो या ओरेंज जोन हो, उन सभी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए ‘कड़े कदम’ उठाये जाने जरूरी है क्योंकि इस वायरस का प्रसार रोकने के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है।
हालांकि इसी बीच देश में कईं मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी को आजमाया गया और उसके नतीजे भी सकारात्मक रहे है लेकिन महाराष्ट्र में एक कोरोना मरीज की मौत होने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके बारे में स्पष्ट कर दिया है कि प्लाज्मा थेरेपी को विश्व में कहीं भी मान्य उपचार के तौर पर पुष्टि नहीं हुई है और यह सिर्फ ट्रायल के तौर पर ही की जा रही है तथा दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना यह घातक साबित हो सकती है।
विश्व के अनेक देशों में कोरोना महामारी से निपटने पर शोध और अनेक कार्य हो रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी कारगर वैक्सीन अथवा दवा का पता नहीं चल सका है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश में कई स्थानों पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हो रहा है लेकिन इसका उपयोग भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा- निर्देशों के तहत ही होना चाहिए और इसके लिए “ ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ से मंजूरी लेनी जरूरी है। इसी के बाद ही यह प्रकिया शुरू की जानी है।
देश में कोरोना मरीजों की किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है और इस समय कुल 75 हजार वेंटीलेटर की मांग है और देश में उपलब्ध वेंटीलेटर की संख्या 19398 है जिसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने घरेलू निर्माता कंपनियों को 59884 वेंटीलेटर के ऑर्डर दिए हैं।
देश में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत सात घरेलू निर्माताओं की पहचान की गई है और बीईएल तथा सकानरे कंपनी 30 हजार, मारुति सुजुकी और एजीवा कंपनी 10 हजार और एएमटीजेड़ (एपीमेडिटेक जोन) 13500 वेंटीलेटर की आपूर्ति करेगी।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए आवश्यक वस्तुओं खासकर चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए सशक्तीकरण समूह तीन के अध्यक्ष पी डी वाघेला के मुताबिक गंभीर रूप से बीमार मरीजों को ही आक्सीजन की जरूरत होती है और इस समय देश में आक्सीजन तथा आक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति सामान्य है। देश की कुल आक्सीजन निर्माण क्षमता 6400 एमटी है जिसमें से एक हजार एमटी का इस्तेमाल ही मेडिकल आक्सीजन बनाने में होता है। देश में इस समय पांच बड़े और 600 छोटे आक्सीजन निर्माता कंपनियां हैं और खुद ही आक्सीजन निर्माण करने वाले अस्पतालों की संख्या 409 है और क्रायोजेनिक टैंकरों की संख्या 1050 है।
देश में चिकित्सकों को मरीजों से संक्रमित होने से बचाने के लिए पीपीई की भूमिका काफी अहम हैं और इस समय देश में अनुमानित जरूरत 2.01 करोड़ पीपीई की है और अब तक कुल आर्डर 2.22 करोड़ पीपीई के लिए दिये जा चुके हैं। घरेलू निर्माता कंपनियों को 1.42 करोड़ आर्डर दिए जा चुके हैं और देश में प्रतिदिन घरेलू उत्पादन 1.87 लाख प्रतिदिन है। अब तक 17.37 लाख पीपीई प्राप्त हो चुके हैं और अगले दो माह मे अतिरिक्त घरेलू आपूर्ति 1.15 करोड़ हो जाएगी और 80 लाख पीपीई का आयात हो चुका है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले देश में पीपीई की गुणवत्ता की जांच का काम एक ही संस्था साउथ इंडिया टेक्सटाइल्स रिसर्च एसोसिएशन करती थी लेकिन अब इसके लिए नौ और कंपनियों को शामिल किया गया है। देश में 30 मार्च को पीपीई की निर्माण क्षमता मात्र 3312 थी जो 30 अप्रैल तक 186472 हो गई है।
इसी तरह देश में एन-95 और एन-99 मॉस्क की अनुमानित मांग 2.72 करोड़ है और 2.49 करोड़ के ऑर्डर दिए जा चुके हैं। इनमें घरेलू निर्माताओं को 1.49 करोड़ मॉस्क के आर्डर दिए गए हैं और घरेलू उत्पादक क्षमता 2.30 लाख मॉस्क प्रतिदिन है। अगले दो माह में इनकी घरेलू उत्पादन क्षमता बढ़कर 1.40 करोड़ हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि देश में डायग्नोस्टिक्स किट की उपलब्धता पर्याप्त हैं और कंबाइन आरटीपीसीआर की मांग 35 लाख किटस की है और 21.35 लाख के आर्डर दिए जा चुके हैं। देश में कोरोना मरीजों और चिकित्सकों को दी जाने वाली दवा हाइड्रॉवक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन पहले 12.23 करोड़ था जो अब बढ़कर 30 करोड़ टेबलेट प्रतिमाह हो चुका है। बाजार में इन गोलियों की जरूरत 2.5 करोड़ थी और राज्यों की मांग के अनुसार नौ करोड़ टेबलेट उपलब्ध करा दी गई हैं।