केरल में बाढ़ का कहर, राहत पहुंचाने की चुनौती

 केरल में बचाव कार्य सोमवार को अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर गया;

Update: 2018-08-20 15:33 GMT

तिरुवनंतपुरम।  केरल में बचाव कार्य सोमवार को अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर गया। अब अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य भर में 5,500 से अधिक राहत शिविरों में रह रहे 7,00,000 से अधिक लोगों के प्रबंधन को लेकर है।

राज्य में मौसम सुधार पर है, और किसी भारी बारिश की संभावना नहीं है। हालांकि कई लोग अभी भी एनार्कुलम जिले के कई हिस्सों और अलप्पुझा जिले के अंदरूनी हिस्से चेंगन्नूर में मदद का इंतजार कर रहे हैं।

केरल में 29 मई से शुरू हुई मॉनसूनी बारिश से लेकर अबतक 370 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन ज्यादातर मौतें नौ अगस्त के बाद हुई हैं। 

हेलीकॉप्टरों ने आज उन जगहों पर बचाव अभियान शुरू किया, जहां लोग अभी भी फंसे हुए हैं। कई अन्य हेलीकॉप्टरों ने यहां से खाद्य और राहत सामग्री पहुंचाई है। 

चेंगन्नूर के विधायक साजी चेरियन ने कहा, "हमने नौकाओं में 70 बचाव दल भेजे हैं। ये सभी उन 60 स्थानों पर पहुंच गए हैं, जहां लोग अभी भी फंसे हुए हैं। हमें विश्वास है कि सोमवार शाम तक सभी को बचा लिया जाएगा।"

एर्नाकुलम के विधायक वी.डी. सतीशन ने कहा कि काफी लोगों को बचा लिया गया है, लेकिन अभी भी कम से कम 1,500 लोग दूरदराज के क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। उन तक पहुंचने में काफी समस्या आ रही है। 

सतीशन ने कहा, "हम इन स्थानों पर व्यक्तिगत बचाव दल भेज रहे हैं और उम्मीद है कि हम उन्हें बचाने में सक्षम होंगे।"

कांग्रेस नेता पी.सी. विष्णुनाथ ने चेंगन्नूर में मीडिया को बताया, "बायोटॉयलेट स्थापित किए जाने चाहिए। बुनियादी जरूरतें भी एकसमस्या है।" 

कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर भरा पानी सोमवार को कम हुआ है। बाढ़ के पानी के परिचालन क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद 15 अगस्त से हवाईअड्डे को बंद कर दिया गया था। अधिकारियों ने सफाई प्रक्रिया शुरू कर दी है।

वहीं, सोमवार को छोटे विमानों ने कोचीन नौसेना एयरबेस से परिचालन शुरू कर दिया। 

रेलवे ने कोट्टायम क्षेत्र और शोरनूर के अन्य क्षेत्रों में संचालन शुरू कर दिया है।

केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने भी कई डिपो से बसों का संचालन शुरू कर दिया है और एक-दो दिन में परिवहन पूरी तरह शुरू हो जाएगा। 

वर्ष 1924 के बाद से राज्य में कभी भी अत्यधिक बारिश और विनाशकारी बाढ़ से इतने बड़े पैमाने पर तबाही नहीं हुई। राज्य सरकार ने 19,500 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया है।

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