कर्नाटक संकट : विधानसभा दो दिन के लिए स्थगित, 18 को विश्वास मत

कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई;

Update: 2019-07-15 22:54 GMT

बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा सोमवार को दो दिनों के लिए स्थगित कर दी गई। अब 18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार द्वारा बुलाई गई सदन की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सरकार द्वारा विश्वास मत प्रस्ताव पेश किए जाने तक सदन को स्थगित करने पर सहमति बनी।

सोलह विधायकों के इस्तीफे से मुश्किल में फंसी कर्नाटक की कांग्रेस-जद (एस) सरकार का संकट जस का तस बना हुआ है। गठबंधन को हालांकि सोमवार को भाजपा द्वारा की गई बहुमत पेश करने की मांग से बचने का मौका जरूर मिल गया। सदन में कार्रवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने मांग की कि बहुमत परीक्षण को गुरुवार तक के लिए टाल दिया जाए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सदन की कार्रवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है।

इसके साथ ही राज्य की वर्तमान सरकार को थोड़ा और वक्त मिल गया है ताकि वो अपने बागी विधायकों को मना ले।

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि उसके 105 विधायक तब तक सत्र में भाग नहीं लेंगे, जब तक कि गुरुवार को विश्वास मत हासिल नहीं किया जाता।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, "लोकतंत्र में, विपक्षी सदस्यों की उपस्थिति और भागीदारी के बिना सत्र आयोजित नहीं किया जा सकता है। इसलिए मैंने विश्वास मत लेने के लिए सदन को गुरुवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया है"। इसके बाद भाजपा ने स्थगन का स्वागत किया और लोकतांत्रिक मानदंडों को बनाए रखने के लिए अध्यक्ष को धन्यवाद दिया।

भाजपा नेता बी. एस. येदियुरप्पा ने बाद में संवाददाताओं से कहा, "अस्थिर गठबंधन सरकार अपने 16 बागी और दो निर्दलीय विधायकों के इस्तीफा देने के साथ अल्पमत में आ गई है। मुख्यमंत्री के पास पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और विधानसभा में कोई कार्य नहीं किया जा सकता है।"

गौरतलब है कि अध्यक्ष ने अभी तक बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता लगाने के लिए अध्ययन करने की आवश्यकता होगी कि वे उचित प्रारूप में हैं भी या नहीं।

बता दें कि 16 बागियों में से 15 ने 10 जुलाई और 13 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में इस्तीफे स्वीकार करने में हो रही देरी के कारण विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की गुहार लगाई थी। इस संबंध में शीर्ष अदालत मंगलवार को फिर से सुनवाई करेगी।

225 सदस्यीय विधानसभा में, कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के पास बसपा व एक क्षेत्रीय पार्टी के एक-एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ अध्यक्ष सहित कुल 118 विधायक हैं। यह आवश्यक बहुमत के निशान से सिर्फ पांच ही अधिक है।

अब अगर 16 बागी और दो निर्दलीय सहित सभी 18 विधायक सत्र में शामिल नहीं होते हैं, तो मतदान के लिए सदन की प्रभावी शक्ति 205 ही रह जाएगी, जिसमें भाजपा के 105 सदस्य होंगे। जबकि अध्यक्ष और नामित सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा।

भाजपा नेता जी. मधुसुदन ने कहा कि इस स्थिति में साधारण बहुमत का आंकड़ा 103 होगा, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास केवल 100 विधायक ही बचेंगे जिस वजह से वे बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे।

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