सिद्धारमैया प्रशासन पर वाम दल के ‘बुद्धिजीवियों’के प्रभाव का प्रत्युत्तर देने की आवश्यकता: आरएसएस

कर्नाटक विधान सभा चुनावों में भाजपा की जीत का रास्ता दुरूस्त करने उपयों की चर्चा करते हुए आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा सिद्धारमैया प्रशासन पर नरम वाम दल के बुद्धिजीवियों’के प्रभाव का प्रत्युत्तर दे;

Update: 2018-04-08 12:23 GMT

शिमोगा। कर्नाटक विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत का रास्ता दुरूस्त करने उपयों की चर्चा करते हुए हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) के एक वरिष्ठ नेता ने आज कहा कि राज्य के सिद्धारमैया प्रशासन पर नरम वाम दल के ‘बुद्धिजीवियों’के प्रभाव का प्रत्युत्तर देने की आवश्यकता है।

आरएसएस नेता एवं जिला(शिमोगा) ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष नटराज भागवत ने  कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता बी एस येदयुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलें और वर्ष 2008-13 के दौरान जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने में भाजपा की असफलता जैसे मुद्दें चुनाव में पार्टी के विरुद्ध प्रमुख नाकारात्मक कारक हैं। हालांकि,उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘नरेन्द्र मोदी फैक्टर’और हिन्दू एकीकरण भाजपा को एक बार फिर कर्नाटक में सत्ता में लाने में मदद करेगें।

 भागवत ने कहा,“ कांग्रेस के असली नेता किनारे गये हो गये हैं और सिद्धा रमैया प्रशासन नरम वाम दल के तथाकथित बुद्धिजीवियों के प्रभाव में है। कर्नाटक को बचाने के लिए इस प्रभाव का तोड़ लाने की आशवयक है।”

भाजपा वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बहुमत से सत्ता में आयी थी और पार्टी के लिए किसी भी दक्षिण भारतीय राज्य सरकार बनाने का यह पहला मौका था। 

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