कन्हैया कुमार के साथ मारपीट की घटना की नहीं होगी एसआईटी जांच

कन्हैया कुमार के साथ पटियाला हाउस कोर्ट में उस वर्ष 15 और 17 फरवरी को वकीलों ने मारपीट की थी जबकि वह उस समय पुलिस की हिरासत में थे;

Update: 2018-01-24 21:25 GMT

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को वर्ष 2016 में दाखिल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर अदालत में पेशी के दौरान कुछ लोगों द्वारा किए गए हमले की विशेष कार्यबल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की गई थी। कन्हैया कुमार के साथ पटियाला हाउस कोर्ट में उस वर्ष 15 और 17 फरवरी को वकीलों ने मारपीट की थी जबकि वह उस समय पुलिस की हिरासत में थे।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. भानुमति ने इस संबंध में कामिनी जयसवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने मारपीट करने वाले दोनों वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही चलाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि उस बात पर समय गंवाने का कोई फायदा नहीं है जिसका कोई नतीजा नहीं निकलने वाला है।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका के पक्ष में कहा कि इस तरह की घटना पर सजा दी जानी चाहिए और इससे अदालत की अवमानना हुई है।

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, "भूल जाइये..एसआईटी के गठन को..हमें नहीं लगता कि हम ऐसा करेंगे। हमें नहीं लगता की अवमानना की गई है।"

इस बात पर जोर देते हुए कि मामले को आगे बढ़ाने में उसकी कोई इच्छा नहीं है, अदालत ने कहा, "हमारे आदेश का यह मतलब नहीं है कि याचिकाकर्ता कानून के अनुसार आगे कदम नहीं उठा सकते हैं।"

फरवरी 2016 में कन्हैया कुमार के साथ राजद्रोह के आरोप में न्यायालय में पेश करते वक्त मारपीट की गई थी। उन पर विश्वविद्यालय में एक बैठक के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप था। कन्हैया कुमार हालांकि बैठक में उपस्थित नहीं थे।
 

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