असंतोष पनपने से यात्रा बीच में ही छोड़कर जाने लगे कैलाश मानसरोवर यात्री

देश की ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा में यात्रियों में असंतोष पनपने लगा है और यात्री बीच में यात्रा को छोड़कर वापस आने लगे हैं। अभी तक सात यात्री अपनी यात्रा बीच में छोड़कर वापस लौट आये हैं;

Update: 2018-08-07 17:56 GMT

नैनीताल।  देश की ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा में यात्रियों में असंतोष पनपने लगा है और यात्री बीच में यात्रा को छोड़कर वापस आने लगे हैं। अभी तक सात यात्री अपनी यात्रा बीच में छोड़कर वापस लौट आये हैं।

सूत्रों के अनुसार पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से कैलाश यात्रा में गतिरोध बना हुआ है लेकिन विदेश मंत्रालय ने यात्रा को लेकर आंखें मूंद रखी हैं। यात्री जगह-जगह फंसे हुए हैं। इससे यात्रियों में असंतोष बना हुआ है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने तब कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) एवं पिथौरागढ़ के जिला प्रशासन की बात को भी गंभीरता से नहीं लिया। सूत्रों ने बताया कि वर्ष 1981 से कैलाश मानसरोवर यात्रा का संयोजन करने वाली कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के शीर्ष अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय के समक्ष इस व्यावहारिक कठिनाई को रखा था लेकिन मंत्रालय के अधिकारियों ने इनकी बात को खास तवज्जो नहीं दी। 

केएमवीएन के अधिकारियों ने यात्रा को पिथौरागढ़ से गूंजी के बजाय धारचूला से बूंदी के रास्ते संचालित कराने की बात रखी थी। साथ ही नौ सेना के बड़े हेलीकाप्टरों के बजाय छोटे हेलीकाप्टरों से यात्रा संचालित करने की मांग की थी। इसका कारण यह था कि नौ सेना के बड़े हेलीकाप्टरों को बूंदी में उतरने में कठिनाई होती है इसलिये यात्रा में छोटे हेलीकाप्टरों को प्रयोग किया जाये। इससे उच्च हिमालयी क्षेत्र छियालेख में हमेशा मौसम खराब रहने की समस्या से भी निजात मिल जाती और यात्रा निर्बाध रूप से संचालित होती। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार कैलाश मानसरोवर के सैकड़ों यात्री पांच जगह फंसे हुए हैं। कैलाश से लौटने वाला सातवां दल गूंजी में फंसा हुआ है। उसके 33 यात्री पिछले दो सप्ताह से गूंजी में हेलीकाप्टर के आने का इंतजार कर रहे हैं जबकि कुछ यात्री पिथौरागढ़ में अपने साथियों का इंतजार में हैं।

इनके अलावा कैलाश यात्रा पर जाने वाला दसवां दल दो भागों में बंट गया है। दल के 25 यात्री गूंजी पहुंच गये जबकि 19 यात्री पिछले 12 दिन से पिथौरागढ़ में हेलीकाप्टर उड़ने का इंतजार कर रहे हैं। इस दल के आगे न बढ़ पाने के कारण पीछे से चलने वाले दलों की यात्रा में विलंब उत्पन्न हो गया है। ग्वारहवां दल चौकोड़ी में, बारहवां दल अल्मोड़ा में एवं तेरहवां दल भीमताल में फंसा हुआ है। इन दलों को भी एक सप्ताह से अधिक समय एक ही जगह में बीत गया है। 

हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि निगम को दो बार विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर यात्रा को विलंबित करने का अनुरोध किया गया। यही कारण है कि मंत्रालय ने आखिरी चार दलों की यात्रा पर फिलहाल रोक लगा दी है। इससे कैलाश यात्रियों में असंतोष पनपने लगा है। 

केएमवीएन के सूत्रों के अनुसार यात्रियों में केन्द्र सरकार को लेकर भारी नाराजगी है। उनका मानना है कि सरकार की ओर से यात्रा में लापरवाही बरती गयी है। सरकार को बड़े हेलीकाप्टरों के बजाय छोटे हेलीकाप्टरों की व्यवस्था करनी चाहिए या फिर पैदल रास्ता खुलवाना चाहिए।

इसी नाराजगी के चलते यात्री अब यात्रा को बीच में छोड़कर जाने लगे हैं। दसवें दल के पांच यात्री मंगलवार काे यात्रा को बीच में छोड़कर चले गये हैं। इससे पहले भी ग्यारहवें दल के दो यात्री चौकोड़ी से यात्रा छोड़कर चले गये हैं।  निगम के महाप्रबंधक टीएस मर्तोलिया ने इसकी पुष्टि की। सूत्रों ने यह भी बताया कि यदि केन्द्र सरकार जल्द वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करती तो और अन्य यात्री भी यात्रा को बीच में छोड़कर वापस आ सकते हैं।

दूसरी ओर ऐसे हालात में केएमवीएन पर भी भारी आर्थिक बोझ बढ़ने लगा है। यात्रियों के साथ साथ नौ सेना का स्टाफ एवं किराये पर लिये गये वाहनों का भारीभरकम बोझ निगम पर बढ़ रहा है।

मर्तोलिया ने बताया मौसम खराब होने के कारण नौ सेना के हेलीकाप्टर मंगलवार को भी उड़ान नहीं भर पाये। उन्होंने बताया कि दसवें दल के गूंजी में रुके 25 सदस्यों को कैलाश यात्रा पर भेज दिया गया है। पिथौरागढ़ में रुके बाकी सदस्यों को 11वें दल के साथ भेजा जाएगा।
यात्रा का पूरा कार्यक्रम बिगड़ने से तमाम व्यावहारिक दिक्कतें भी आने लगी हैं। यात्रियों का वीजा का समय खत्म होने के कारण दल के लाइजनिंग अधिकारियों को समय बढ़वाने के लिये दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ रही है। 

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