जेएनयू के लापता छात्र नजीब मामले की सुनवाई टली

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले की सुनवाई को 11 मई तक के लिए स्थगित कर दी;

Update: 2018-05-08 23:15 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी मामले की सुनवाई को 11 मई तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर व न्यायमूर्ति आई.एस. मेहता की खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के वकील की स्थगन याचिका मंजूर कर ली। 

सीबीआई के वकील ने हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक नाबालिग से दुष्कर्म मामले में अदालती प्रक्रिया में भाग लेने को आधार बनाते हुए स्थगन की मांग की थी।

अदालत नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने अपने बेटे को पुलिस व दिल्ली सरकार द्वारा अदालत के सामने पेश किए जाने की मांग की है।

जेएनयू का एमएससी प्रथम वर्ष का छात्र नजीब अहमद (27) 15 अक्टूबर, 2016 को कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों से झगड़े के बाद से लापता है। एबीवीपी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारक रहे हैं। भाजपा के अधिकांश नेता आरएसएस में ही दीक्षित हुए हैं। 

एबीवीपी ने नजीब की गुमशुदगी में किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है और दिल्ली पुलिस ने यह मान भी लिया है। दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है और एबीवीपी केंद्र सरकार की करीबी है। यही वजह है कि इस मामले में दो साल बाद भी दिल्ली पुलिस के हाथ खाली हैं।

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