नाबालिग से दुष्कर्म, आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

जांजगीर ! नाबालिग लडक़ी से दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) जांजगीर ने आरोपी को दस वर्ष की सजा सुनाई है।;

Update: 2017-03-22 05:18 GMT

जांजगीर !   नाबालिग लडक़ी से दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) जांजगीर ने आरोपी को दस वर्ष की सजा सुनाई है। साथ ही 5 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया है। मामला अकलतरा थाना क्षेत्र का है। अभियोजन के अनुसार, 2 मार्च 2014 को पीडि़ता के भाई ने अकलतरा थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करवाई कि 10 फरवरी 2014 की सुबह पांच बजे उसकी नाबालिग बहन दिशा-मैदान के लिए घर से निकली थी। वहां से घर लौटने के बाद वह अचानक गायब हो गई।
काफी खोजबीन करने के बाद उसका कही पता नहीं चला, तब वह थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने आया है। प्रार्थी की रिपोर्ट पर अकलतरा पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिग लडक़ी की पतासाजी शुरू की। इस बीच मुखबिर से सूचना मिली कि ग्राम सेखवा चौकी कोटमी थाना पेण्ड्रा निवासी ओमप्रकाश के साथ उसके घर पर नाबालिग लडक़ी है। सूचना के आधार पर पुलिस की टीम ने तय ठिकाने पर पहुंचकर दबिश दी और वहां से नाबालिग लडक़ी को बरामद किया। लडक़ी से पूछताछ करने पर उसने पुलिस को बताया कि ओमप्रकाश ने उससे शादी करने का वायदा किया और झांसा देकर उसे अपने साथ ले आया तथा उसके साथ जबरिया अनाचार करता रहा। नाबालिग के बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी ओमप्रकाश के विरूद्ध धारा 366, 376 तथा पास्को एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत पीडि़ता का बयान दर्ज किया गया। आरोपी के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य होने पर 9 अगस्त 2014 को आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमाण्ड पर भेजा गया। मामले की विवेचना पूरी करने के बाद अकलतरा पुलिस ने प्रकरण अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) जांजगीर के न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहां सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने प्रस्तुत साक्ष्य तथा गवाहों के बयान के आधार पर आरोपी ओमप्रकाश मार्को पिता मूलचंद को दोषी पाया। न्यायाधीश ने आरोपी को भादवि की धारा 363 के तहत पांच वर्ष की सजा और दो हजार रूपए का अर्थदंड, 366 के लिए पांच वर्ष की सजा और तीन हजार रूपए का अर्थदंड तथा पास्को एक्ट की धारा 6 के तहत दस वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा नहीं करने पर आरोपी को क्रमश: तीन-तीन माह एवं छह माह का सश्रम कारावास पृथक से भुगतना होगा। प्रकरण में अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक संतोष गुप्ता एवं अतिरिक्त लोक अभियोजक रेवतीरमन तिवारी ने पैरवी की।

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