दर्जनभर निर्धनों की कराई शादी, किया कन्यादान
जांजगीर ! समाज में दहेज प्रथा का अभिशॉप मिटने का नाम नहीं ले रहा। शायद यही वजह है कि आज भी लड़कियों को बोझ समझा जाता है।;
केशवमूर्ति सिंह
जांजगीर ! समाज में दहेज प्रथा का अभिशॉप मिटने का नाम नहीं ले रहा। शायद यही वजह है कि आज भी लड़कियों को बोझ समझा जाता है। गरीब परिवार के लिए तो कन्या की शादी करना कर्ज में डूबने के समान होता है, ऐसे में समाज के लिए आगे बढ़ कर निर्धन कन्याओं का कन्यादान का पुण्य कमाना आसान नहीं। समाजसेवी श्रवण सिंह अब तक दर्जनों निर्धन कन्याओं का हाथ पीले कर चुके है। इस काम में हाथ बंटाने तत्पर खड़े मिलते है।
नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम धुरकोट निवासी डॉ. श्रवण सिंह का जन्म 1956 में मालगुजार परिवार में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा धुरकोट व जांजगीर में हुई। समाजसेवा का कार्य उनको अपने पिता स्व. ठा. धनुष सिंह से विरासत में मिली। शिक्षा-दीक्षा के बाद 3 सितंबर 1974 को जिला सहकारी बैंक चांपा में उनकी पदस्थापना हुई। पारिवारिक दायित्वों को पूरा करते हुए अपने वेतन से रूपए बचाकर उन्होंने निर्धन कन्याओं की शादी का बीड़ा उठाया। तब से अब तक दर्जनभर से अधिक निर्धन कन्याओं का विवाह करवाया। साथ ही पचास से अधिक नवजोड़ों को गृहस्थ जीवन का पूरी सामग्री प्रदान की। नौकरी के साथ.साथ उन्होंने हमेशा समाजसेवा को अपनी प्राथमिकता दी। निर्धन कन्या विवाह में धाराशिव की मूक बधिर कन्या कु.जया की भी सामाजिक रीति-रिवाज से शादी कराई और कन्यादान किया।
बांट चुके है 2 हजार से अधिक धार्मिक ग्रंथ
डॉ. श्रवण सिंह की समाजसेवा निर्धन कन्याओं के विवाह तक ही नहीं है, बल्कि धार्मिक ग्रंथ गीता, रामायण, श्रीमद् भागवत का वितरण भी किया। अब तक वे 2 हजार से अधिक धार्मिक ग्रंथों का वितरण कर चुके हैं। इसके अलावा गरीबों के साथ जरूरतमंदों को ठंड में कंबल वितरण, साड़ी वितरण सहित बीमारी से जूझ रहे निर्धन परिवार को आर्थिक रूप से मदद भी की है।
मिल चुके हैं कई सम्मान
डॉ. श्रवण सिंह को समाजसेवा के दौरान अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिसमें प्रमुख रूप से दिसंबर 2012 में भारत रत्न गौरव सम्मान से दिल्ली में सम्मानित किया गया।
26 मई 2014 को आईनेक्स इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पुणे में डॉक्टरेट की मानद उपाधि तथा 2014 में ह्यूमन राइट्स के लिए उन्हें सम्मानित किया गया। इसके अलावा वर्ष 2014 में संस्कृतिके संवर्धन के साथ ही क्षत्रिय कुल गौरव सम्मान से सम्मानित हुए। 15 अगस्त 2014 को ही भारतीय डाक सेवा द्वारा उनके नाम से डाक टिकट भी जारी किया गया।