आरक्षण नीति विवाद : उमर अब्दुल्ला ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों से की मुलाकात, दिए कई आश्वासन
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर आरक्षण नीति के खिलाफ सोमवार को सांसद और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता रूहुल्लाह मेहदी के नेतृत्व में कई राजनीतिक नेताओं और बड़ी संख्या में छात्रों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जिसे इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल-प्रशासन ने द्वारा पेश किया गया था;
उमर ने आरक्षण नीति को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में छात्रों से की मुलाकात
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आवास के बाहर आरक्षण नीति के खिलाफ सोमवार को सांसद और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता रूहुल्लाह मेहदी के नेतृत्व में कई राजनीतिक नेताओं और बड़ी संख्या में छात्रों ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया जिसे इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल-प्रशासन ने द्वारा पेश किया गया था।
बाद में प्रदर्शनकारी छात्रों के एक समूह ने उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की जिन्होंने उन्हें कई आश्वासन दिए।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा 'आज मैंने ओपन मेरिट स्टूडेंट्स एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। लोकतंत्र की खूबसूरती आपसी सहयोग की भावना से सुनने और बातचीत करने का अधिकार है।'
अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने उनसे कुछ अनुरोध किए हैं और उन्हें कई आश्वासन दिए हैं। उन्होंने कहा, 'संचार का यह चैनल बिना किसी बिचौलिए या पिछलग्गू के खुला रहेगा।'
उमर अब्दुल्ला सरकार ने 10 दिसंबर को नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण नीति की समीक्षा के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय आरक्षण नीति को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसने हाल ही में सरकार से इस पर जवाब मांगा है।
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद एक छात्र प्रतिनिधि ने कहा कि 30 मिनट लंबी बैठक का मुख्य निष्कर्ष यह था कि मुख्यमंत्री ने उप-समिति को अपना काम पूरा करने के लिए छह महीने का समय मांगा है।
इससे पहले आरक्षण के मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के रूहुल्लाह, वहीद पारा और इल्तिजा मुफ्ती और अवामी इतिहाद पार्टी के नेता शेख खुर्शीद- सांसद इंजीनियर राशिद के भाई जैसे राजनीतिक विरोधी एक साथ आए थे। प्रदर्शनकारियों ने 'ओपन मेरिट उम्मीदवारों के लिए न्याय', 'योग्यता के लिए प्रयास करें, महानता प्राप्त करें' के नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं।
नेकां सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, 'सरकार को अपनी भर्ती नीतियों में निष्पक्षता और समानता सुनिश्चित करनी चाहिए।'
उन्होंने सरकार से न्यायसंगत दृष्टिकोण के लिए आरक्षण नीति को संशोधित करने का आग्रह किया।
इससे पहले कश्मीरी अलगाववादी नेता और हुर्रियत के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक भी आरक्षण नीति पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होना चाहते थे। हालांकि उनकी घोषणा के पांच मिनट के भीतर ही उन्हें कथित तौर पर उनके आवास पर नजरबंद कर दिया गया।
मीरवाइज ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा 'आरक्षण के मुद्दे को जिम्मेदार लोगों द्वारा न्याय और निष्पक्षता के साथ संबोधित किया जाना चाहिए, समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा करनी चाहिए न कि किसी एक समूह की कीमत पर। आरक्षण की वर्तमान स्थिति सामान्य/ओपन मेरिट श्रेणी के हितों को कम करके ऐसा करती है। उनकी चिंताओं को तुरंत दूर करने की हार्दिक अपील! #ओपनमेरिटस्टूडेंट्सएसोसिएशन का समर्थन करें।'
उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें जाने की अनुमति मिलेगी, वह ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में अपने शुक्रवार के उपदेश के दौरान इस मुद्दे को उठाएंगे।
उल्लेखनीय है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व में केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने पहाड़ी समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया। इस बदलाव ने विभिन्न श्रेणियों में कुल आरक्षित सीटों को 60 प्रतिशततक बढ़ा दिया जिससे सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए केवल 40 प्रतिशत सीटें ही उपलब्ध रहीं।
इसने ओपन मेरिट के उम्मीदवारों के बीच अशांति पैदा कर दी, जो नई नीति की समीक्षा की मांग कर रहे हैं।