जैश-ए-मुहम्मद आतंक और दहशत का पर्याय है

जैश-ए-मुहम्मद अर्थात ’खुदा की सेना‘। जब नाम ही खुदा की सेना है तो काम भी वही होगा।;

Update: 2020-08-26 11:36 GMT

कश्मीर में फिदायीन और मानव बम हमलों का पर्दापण करने वाला

जम्मू । जैश-ए-मुहम्मद अर्थात ’खुदा की सेना‘। जब नाम ही खुदा की सेना है तो काम भी वही होगा। जी हां, काम भी वही है। जैश-ए-मुहम्मद खुदा की इबादत के लिए जेहाद को रास्ता मानता है तो आत्मघाती हमलों को सेवा। इस्लाम में आत्महत्या की चाहे इजाजत नहीं दी जाती लेकिन जेहाद तथा धर्म की रक्षा के लिए कथित तौर पर कुर्बानी देने के तर्क को लेकर आत्मघाती हमलों में मानव बम का नया मोड़ कश्मीर के आतंकवाद के इतिहास में लाने वाला जैश-ए-मुहम्मद आज सर्वत्र चर्चा मंे है।

चर्चा में आखिर हो भी क्यों न। पुलवामा का हमला, पहले उड़ी में सैन्य शिविर तथा पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले और इससे पहले संसद भवन जैसी अति सुरक्षित समझे जाने वाली इमारत की सभी सुरक्षा व्यवस्थाओं को नेस्तनाबूद कर सारे देश को हिला देने वाले संगठन की चर्चा आज कश्मीर में ही नहीं बल्कि विश्वभर में हो रही है, जिसने अपने गठन के मात्र दो सालों के दौरान जितनी कार्रवाईयों को अंजाम दिया था कि उसने लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया था।

अल-कायदा से प्रशिक्षण प्राप्त और ओसामा-बिन-लादेन की शिक्षाओं पर चलने वाले जैश-ए-मुहम्मद के संस्थापक आतंकवादी नेता मौलना मसूद अजहर के लिए वे क्षण बहुत ही ‘अनमोल’ थे जब उसे जम्मू की जेल से इसलिए रिहा कर दिया गया था क्यांेकि भारत सरकार को अपने 154 विमान यात्रियों को रिहा करवाना था। तब उसकी रिहाई के परिणामों के प्रति नहीं सोचा गया था।

अपनी रिहाई और संगठन के गठन के बाद तीन महीनों तक खामोश रहने वाले जैश-ए-मुहम्मद ने 19 अप्रैल 2000 को सारे विश्व को चौंका दिया था। कश्मीर की धरती को हिला दिया था। पहला मानव बम हमला किया था जैश-ए-मुहम्मद ने कश्मीर में। जैश-ए-मुहम्मद की ओर से बादामी बाग स्थित सेना की 15वीं कोर के मुख्यालय पर मानव बम का हमला करने वाला कोई कट्टर जेहादी नहीं था बल्कि 12 वीं कक्षा में पढ़ने वाला 17 वर्षीय मानसिक रूप से तथा कैंसर से पीड़ित युवक अफाक अहमद शाह था।

इसके उपरांत मानव बम हमलों की झड़ी रूकी नहीं। क्रमवार होने वाले आत्मघाती हमलों में प्रत्येक आतंकवादी मानव बम की भूमिका निभाने लगा। यह सब करने वाले थे जैश-ए-मुहम्मद के सदस्य। उन्होंने इस्लाम की उन हिदायतों को भी पीछे छोड़ दिया था जिसमें कहा गया था कि आत्महत्या करना पाप है। लेकिन वे इसे नहीं मानते और कहते हैंः’जेहाद तथा धर्म की रक्षा के लिए अपने शरीर की कुर्बानी दी जा सकती है।’

इस ’कुर्बानी’ का एक नया चेहरा फिर नजर आया प्रथम अक्तूबर 2001 को। कश्मीर विधानसभा की इमारत पर मानव बम हमला करने वालों ने 47 मासूमों की जानें ले ली। अभी विधानसभा पर हुए हमले के धमाके की गूंज से कानों को मुक्ति मिल भी नहीं पाई थी कि सारा विश्व स्तब्ध रह गया। दिन था 13 दिसंबर का और निशाना था भारतीय संसद भवन। कोई सोच भी नहीं सकता था। लेकिन जैश-ए-मुहम्मद ने यह ’हिम्मत’ दर्शाई थी और यह साबित कर दिया था कि सुरक्षा व्यवस्थाओं में कितने लूप होल हैं। और उसके ताजा हमलों की लिस्ट में पठानकोट एयरबेस, उड़ी के सैन्य शिविर तथा पुलवामा में केरिपुब पर हुए हमले भी जुड़ गए हैं।

सच में कश्मीर में करगिल युद्ध के बाद आरंभ हुए आत्मघाती हमलों, जिन्हें दूसरे शब्दों मे फिदाइन हमले भी कहा जाता है, को नया रंग,रूप और मोड़ दिया है जैश-ए-मुहम्मद ने। उस जैश-ए-मुहम्मद ने जो आज आतंक और दहशत का पर्याय बन गया है सारे विश्व में। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि करगिल युद्ध के बाद के 20 सालों के दौरान कश्मीर में जिन डेढ़ हजार के करीब आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया जा चुका है उनमें से आधे से अधिक जैश-ए-मुहम्मद के खाते में गए हैं इनमें से कथित तौर पर 52 में मानव बमों ने हिस्सा लिया था।

 

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के लिए आत्मघाती हमले करना सबसे पसंदीदा तरीका है। संगठन के मुखिया मौलाना मसूद अज़हर कट्टरपंथी विचारों वाले संदेश सोशल मीडिया और सीडी, डीवीड के द्वारा कश्मीर की घाटी में भेजकर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

जैश-ए-मोहम्मद का मतलब होता है मुहम्मद की सेना। इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद को धरती पर अल्लाह का आखिरी पैगंबर माना जाता है। लेकिन यह एक आतंकी संगठन है जिसे भारत समेत कुछ पश्चिमी देशों में आतंक फैलाने के लिए किया जा रहा है।

यह खतरनाक आतंकी संगठन कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए बनाया गया है। घाटी में इस संगठन ने कई बार हमले किए यह संगठन पीओके से आपरेट होता है। जैश-ए-मोहम्मद कश्मीर के सबसे खतरनाक आतंकी संगठनों में से है।

पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान ने साल 2002 से इस आतंकी संगठन को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा इस संगठन को ऑस्ट्रेलिया, यूएई, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी इसे आतंकी संगठन मानते हैं।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मौलाना मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का तैयार किया आपको बता दें कि अजहर वही आतंकी है जिसे अटल सरकार में कंधार विमान अपहरण के बाद भारत से छुड़ाया गया था। सूत्रों की मानें तो इस आतंकी संगठन के निर्माण में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान का तालिबान, ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान के कई सुन्नी संगठनों ने मदद की।

दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में भी इसी आतंकी संगठन (जैश-ए-मोहम्मद) का हाथ था। इस मामले में प्रोफेसर अफजल गुरु समेत चार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। और अफजल को फांसी की सजा दी गई।

इस संगठन (जैश-ए-मोहम्मद) की हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से भी अच्छी दोस्ती रही है 2001 में भारतीय संसद हमले को दोनों संगठनों ने मिलकर अंजाम दिया था। इसी संगठन ने साल 2002 फरवरी में पाकिस्तान की राजधानी कराची में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल का अपहरण करके हत्या कर दी थी। साल 2009 में पुलिस ने इस आतंकी संगठन (जैश-ए-मोहम्मद) के 4 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया था। ये आतंकी न्यूयॉर्क में बम धमाके और अमेरिकी वायुसेना पर हमले की साजिश रच रहे थे।

 

जम्मू कश्मीर में हुए कुछ बड़े फिदाइन हमले

3 नवम्बर 1999-सेना की श्रीनगर छावनी पर फिदाइन हमला, सेना के 10 जवान शहीद।

9 फरवरी 2001-श्रीनगर के पुलिस कंट्रोल पर आत्मघाती हमला, 9 पुलिसकर्मी मारे गए।

2 मार्च 2001-राजौरी के मंजाकोट में पुलिस पर हमला 19 पुलिसकर्मी मारे गए।

24 अगस्त 2001-पुंछ पुलिस स्टेशन पर हमला 7 पुलिसकर्मी मारे गए।

17 सितम्बर 2001-हंदवाड़ा में एसओजी कैम्प पर हमला 10 पुलिसकर्मी मारे गए।

1 अक्तूबर 2001-कश्मीर के इतिहास में सबसे बड़ा फिदाइन हमला श्रीनगर सचिवालय पर हुआ जिसमें 47 लोग मारे गए। इसमें 4 आतंकी भी मारे गए।

15 मार्च 2003-उधमपुर जिने के गूल इलाके की इंद पुलिस चौकी पर फिदाइन हमला 15 पुलिसकर्मी मारे गए।

17 जनवरी, 2019-आतंकियों ने दो दिनों के भीतर घंटाघर लाल चौक, शोपियां पुलिस कैंप में तीन ग्रेनेड हमले किए। इस हमले में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर इकबाल सिंह और दो ट्रैफिक पुलिस कर्मियों सहित छह लोग घायल ।

26 जनवरी, 2019-गणतंत्र दिवस पर भी आतंकियों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए कश्मीर में दो जगह हमले किए। पहला हमला पुलवामा के पंपोर और खानमो इलाके में किया गया। आतंकियों ने एसओजी और सीआरपीएफ को निशाना बनाया। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने दो आतंकी मार गिराए, हमले में पांच जवान जख्मी भी हो गए।

30 जनवरी, 2019-कुलगाम जिले में आतंकियों ने दमहल हांजीपोरा इलाके में पुलिस के एक दल पर ग्रनेड हमला किया। इस हमले में तीन नागरिक घायल।

31 जनवरी, 2019-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ की 96वीं बटालियन पर हमला किया था। आतंकियों ने हमले में ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। हमले में दो जवान और पांच नागरिक घायल।

13 जुलाई, 2018-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों ने सीआरपीएफ पार्टी पर आतंकी हमला किया था। हमले में एक अफसर सहित एक जवान शहीद हो गया था। आतंकी सीआरपीएफ जवानों पर फायरिंग कर भागे निकले थे।

5 अक्टूबर, 2018-श्रीनगर के करफल्ली मुहल्ला में आतंकियों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक शमीमा फिरदौस के निजी सचिव नज़ीर अहमद सहित एक कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकियों ने दोनों को विधायक के घर पर ही गोली मारी थी।

26 अक्टूबर, 2018-कश्मीर के नौगाम में आतंकियों ने सीआइएसएफ के जवानों को निशाना बनाते हुए ग्रेनेड हमला किया था। पावर ग्रिड की सुरक्षा में तैनात जवानों पर आधी रात को यह हमला किया गया था। इसमें एक एएसआइ राजेश कुमार शहीद हो गया था।

--सुरेश एस डुग्गर--

Full View

Tags:    

Similar News