यूपी में 17 जातियों को ओबीसी से हटा कर एससी सूची में डालना अवैध: गहलोत

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने आज राज्यसभा में कहा कि उत्तरप्रदेश में कुछ जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग सूची से हटाकर अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करना अवैध;

Update: 2019-07-02 14:02 GMT

नयी दिल्ली । सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने आज राज्यसभा में कहा कि उत्तरप्रदेश में कुछ जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग सूची से हटाकर अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करना अवैध है जिससे बचा जाना चाहिए।

गहलाेत ने कहा कि राज्य सरकार को अपना आदेश वापस लेना चाहिए और संबंधित जातियों के लोगों के एस सी प्रमाण पत्र नहीं बनायें जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम पूरी तरह से अवैध है और इसे अदालतों के जरिए खारिज कर दिया जाएगा। बाद में लोगों को भारी परेशानी उठानी होगी। 

इससे पहले सदन में शून्यकाल के दौरान बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा ने उत्तरप्रदेश में 17 जातियों को ओबीसी सूची से हटाकर एससी सूची के डालने के राज्य सरकार के आदेश का मामला उठाया और कहा कि यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है। उन्होेंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार आरक्षण के लिए वर्गीकरण की सूची में परिवर्तन केवल संसद कर सकती है। किसी भी सरकार को इसमें परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश की सरकार इन 17 जातियों के साथ धोखा कर रही है। इन जातियों को ओबीसी सूची से हटा दिया गया है। इससे इन्हें ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पायेगा। उन्हाेंने कहा कि इससे पहले भी राज्य सरकारों ने ऐसे प्रयास किये थे जिनपर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी थी। 

गाैरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डाल दिया। इन जातियों में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर जैसी जातियां शामिल हैं। राज्य सरकार ने जिला प्रशासनों को इन जातियों के लोगों को एससी प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश भी दिया है।

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