नेपाल चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव: बालेन शाह बने पीएम पद के उम्मीदवार, RSP के साथ चुनावी गठबंधन

काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बलेंद्र शाह, जिन्हें देशभर में लोकप्रिय नाम बालेन शाह के रूप में जाना जाता है, को रविवार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नामित किया गया। यह फैसला तब हुआ, जब बालेन शाह और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के बीच संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के लिए औपचारिक समझौता हुआ।;

Update: 2025-12-28 05:52 GMT
काठमांडू : Nepal Politics: नेपाल की राजनीति में चुनाव से ठीक पहले बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बलेंद्र शाह, जिन्हें देशभर में लोकप्रिय नाम बालेन शाह के रूप में जाना जाता है, को रविवार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नामित किया गया। यह फैसला तब हुआ, जब बालेन शाह और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) के बीच 5 मार्च को होने वाले नेपाल आम चुनावों में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के लिए औपचारिक समझौता हुआ। इस गठबंधन को नेपाल की राजनीति में उभरती युवा ताकतों के एकजुट होने के रूप में देखा जा रहा है।

रातभर चली लंबी बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच सात सूत्रीय समझौते पर सहमति बनी। इस समझौते के तहत 35 वर्षीय बालेन शाह को गठबंधन का संसदीय दल नेता और प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया गया, जबकि चर्चित पत्रकार से नेता बने रबी लामिछाने राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे।

सात सूत्रीय समझौता और नेतृत्व का बंटवारा
रविवार तड़के अंतिम रूप दिए गए इस सात सूत्रीय समझौते को दोनों पक्षों ने “नई राजनीति की दिशा में निर्णायक कदम” बताया है। समझौते के अनुसार, बालेन शाह और उनका राजनीतिक समूह राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘घंटी’ पर ही चुनाव लड़ेगा। बालेन की ओर से अपनी टीम का आरएसपी में विलय करने पर सहमति जताने के बाद यह तय किया गया कि पार्टी का नाम, झंडा और चुनाव चिन्ह यथावत रहेंगे।

हालांकि नेतृत्व के स्तर पर संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। बालेन शाह को जहां प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार और संसदीय दल का नेता बनाया गया है, वहीं रबी लामिछाने पार्टी संगठन और राजनीतिक दिशा की कमान अपने हाथ में बनाए रखेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संतुलन दोनों नेताओं के समर्थकों को साथ बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकता है।

बालेन शाह: मेयर से पीएम उम्मीदवार तक का सफर
बालेन शाह ने काठमांडू महानगरपालिका के मेयर के रूप में पारंपरिक राजनीति को चुनौती देते हुए अलग पहचान बनाई है। एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने वाले बालेन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख, शहरी प्रशासन में सुधार और जनहित के मुद्दों पर बेबाक फैसलों के जरिए खासकर युवा मतदाताओं में गहरी पैठ बनाई है।

अब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनका उभरना नेपाल की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। यह पहली बार है जब स्थानीय स्तर से उभरा कोई युवा नेता इतने कम समय में राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गया है।

‘व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर देश की जरूरतें’

समझौते के बाद आरएसपी अध्यक्ष रबी लामिछाने ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आम सहमति बनाते समय व्यक्तिगत नेताओं की महत्वाकांक्षाओं के बजाय देश की जरूरतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने रविवार सुबह फेसबुक पोस्ट में लिखा कि नेपाल को अब ऐसी राजनीति की जरूरत है, जो भ्रष्टाचार, कुशासन और सत्ता के दुरुपयोग से ऊपर उठकर काम करे।

समझौते के दस्तावेज में भी इस बात पर जोर दिया गया है कि दोनों पक्ष भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ युवाओं द्वारा शुरू किए गए आंदोलन की जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं। साथ ही, यह भी कहा गया है कि जेनरेशन जेड के प्रदर्शनकारियों, आंदोलन के दौरान घायल हुए युवाओं और उनके उठाए गए मुद्दों को पूरा करने के लिए ठोस नीतिगत कदम उठाए जाएंगे।

सितंबर आंदोलन और ओली सरकार का पतन
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह गठबंधन उन युवा नेतृत्व वाली ताकतों को एकजुट करने की दिशा में एक अहम कदम है, जिन्होंने सितंबर आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस आंदोलन ने देशभर में व्यापक असंतोष को जन्म दिया था और अंततः केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार के पतन का कारण बना। बालेन शाह और आरएसपी दोनों ही उस आंदोलन से जुड़े मुद्दों भ्रष्टाचार विरोध, पारदर्शिता, रोजगार और सुशासन को अपने राजनीतिक एजेंडे का केंद्र बना रहे हैं। ऐसे में यह गठबंधन पुराने दलों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

जेन जी का बढ़ता समर्थन
इस समझौते के बाद बड़ी संख्या में जेन जी समर्थकों के आरएसपी में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर सक्रिय युवा वर्ग पहले से ही बालेन शाह को एक ‘सिस्टम ब्रेकर’ के रूप में देखता है। आरएसपी के साथ गठबंधन से इस समर्थन को संगठित राजनीतिक शक्ति में बदलने की कोशिश की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह गठबंधन युवाओं को मतदान केंद्रों तक लाने में सफल रहता है, तो चुनावी नतीजों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।

कुलमान घिसिंग की पार्टी पर टिकी नजरें
इस गठबंधन के बाद अब सभी की नजरें ऊर्जा और जल संसाधन मंत्री कुलमान घिसिंग के नेतृत्व वाली नवगठित उज्यालो नेपाल पार्टी (यूएनपी) पर टिकी हैं। यूएनपी ने बालेन शाह के साथ एकता और सहयोग को लेकर कई दौर की बातचीत की है, लेकिन अभी तक उसने इस गठबंधन में शामिल होने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है। यदि यूएनपी भी इस मोर्चे में शामिल होती है, तो यह गठबंधन और मजबूत हो सकता है, खासकर ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और विकास से जुड़े मुद्दों पर।

नेपाल की राजनीति में नए युग का संकेत?
कुल मिलाकर बालेन शाह और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के बीच हुआ यह समझौता नेपाल की राजनीति में नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। यह गठबंधन पारंपरिक दलों के वर्चस्व को चुनौती देने और युवा, मुद्दा-आधारित राजनीति को आगे बढ़ाने का दावा कर रहा है। अब देखना यह होगा कि यह नया राजनीतिक प्रयोग चुनावी मैदान में कितना सफल होता है और क्या बालेन शाह वाकई नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में उभर पाते हैं या नहीं। इतना तय है कि इस गठबंधन ने आगामी चुनावों को और ज्यादा रोचक और प्रतिस्पर्धी बना दिया है।

Tags:    

Similar News