कोरोना पर हिंदी में अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार

देश में कोरोना संक्रमण (कोविड-19) के प्रकोप के कारण लागू लॉकडाउन को देखते हुए देश के नीति निर्धारक, शिक्षक और छात्र ही नहीं बल्कि लेखक और कलाकार भी वेबिनार आयोजित कर अपनी बात दूर तक पहुंचा रहे है।;

Update: 2020-05-01 15:40 GMT

नयी दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण (कोविड-19) के प्रकोप के कारण लागू लॉकडाउन को देखते हुए देश के नीति निर्धारक, शिक्षक और छात्र ही नहीं बल्कि लेखक और कलाकार भी वेबिनार आयोजित कर अपनी बात दूर तक पहुंचा रहे है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय , सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी और साहित्यिक पत्रिका पाखी के सहयोग से 'कोविड-19 की चुनौतियां और साहित्य' विषय पर शनिवार को एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया जायेगा। इस वेबिनार में ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर फ्रेडलैंडर, इटली के तुरीनो विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अलेसांद्रा कौन्सोलारो, वागर्थ पत्रिका के संपादक एवं सुप्रसिद्ध विचारक प्रोफेसर शंभूनाथ, हिंदी की महत्वपूर्ण कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ तथा प्रसिद्ध आलोचक प्रो. अवधेश प्रधान हिस्सा लेंगे।

काशी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. राकेश भटनागर एवं कला संकाय की प्रमुख प्रो. रामकली सराफ की पहल पर हो रही इस संगोष्ठी की जानकारी देते हुए संयोजक प्रो. सदानंद शाही ने एक बयान में कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि कोविड-19 महामारी हैजा, प्लेग और स्पैनिश फ्लू जैसी महामारियों अथवा प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों की तुलना में कितनी भयावह साबित होगी लेकिन यह यथार्थ हमारे सामने है कि युवा होती इक्कीसवीं शताब्दी में मानवता के सामने ऐसी चुनौती कभी नहीं आई थी। विमानों ने आकाश को पक्षियों के लिए खाली कर दिया है। रेलगाड़ियां पटरियों पर सरकती दिखाई नहीं दे रही हैं । सड़कें खाली ,बाजार खाली, सब खाली । सभी एक ऐसे अदृश्य शत्रु से लड़ रहे हैं जो किस तरफ से उनके पास आ जाएगा, उन्हें नहीं मालूम । उसने सभी को घरों में कैद कर रखा है । इससे उपजी चुनौतियों से जूझने के लिए वैज्ञानिक, चिकित्सक और अर्थशास्त्री अपने-अपने ढंग से लगे हुए हैं । प्रश्न है कि साहित्य इसमें क्या करें? उन्होंने कहा कि साहित्य मनुष्य की बनायी वैकल्पिक दुनिया है । भाषा और शब्दों के सहारे आदमी साहित्य की यह वैकल्पिक दुनिया गढ़ता और उसमें रहता है । कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी यह वैकल्पिक दुनिया उसे सहारा देती है। इस वेबिनार के माध्यम से हम इसी पर विचार करेंगे की साहित्य की यह दुनिया किस हद तक इस महामारी से निपटने में हमारी मदद कर रही है और कर सकती है। 

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