अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला नियमों का पालन करता रहा है: कोविंद 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अाज कहा कि भारत में स्वाभाविक तौर पर कारोबार बढ़ाने के साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान वाला खुला समाज है;

Update: 2017-11-14 17:52 GMT

नयी दिल्ली।  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अाज कहा कि भारत में स्वाभाविक तौर पर कारोबार बढ़ाने के साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान वाला खुला समाज है तथा यह हमेशा उदार एवं नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का पालन करता रहा है जो इसके डीएनए का हिस्सा है। 

राष्ट्रपति ने यहां 37वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) का शुभारंभ करते हुये कहा कि आधुनिक भारत भी इसी का अनुसरण कर रहा है और उसी पर आईआईटीएफ भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि यह मेला वार्षिक आयोजन बनने के साथ ही सांस्कृतिक कैलेंडर भी बन गया है। आईआईटीएफ एक व्यापार मेला या प्रदर्शनी से अलग है। हर वर्ष 14 नवंबर को शुरू होने वाला यह मेला भारत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करता है।

यह भारत के प्राचीन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाने का प्रतीक भी है।  उन्होंने कहा कि रोमन यात्री अरब की यात्रा के साथ ही केरल और तमिलनाडु भी आया करते हैं। गुजराती कारोबारी भी भारतीय महाद्वीप की यात्रा किया करते हैं। उत्तर भारत कारोबारी मार्ग के जरिये मध्य एशिया से जुड़ा हुआ था। पूर्व और पूर्वोत्तर के राज्य पड़ोसी देशों के साथ सैकड़ों वर्षाें से व्यापार कर रहे हैं। इसी तरह से दक्षिण में चोल साम्राज्य अरब और आसियान देश में कारोबारी मिशन भेजा करता था। एक हजार वर्ष पूर्व चोल वंश की ‘एक्ट ईस्ट और गो वेस्ट’ नीति थी। 

राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष यह अंतरराष्ट्रीय मेला ऐसे समय में हो रहा है जबकि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकता केन्द्र माना जा रहा है। भारत के बदलते कारोबारी माहौल का दुनिया ने संज्ञान लिया है और सरल कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में काम किया गया है।

उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का लागू होना मील का पत्थर है। जीएसटी से राज्यों के बीच व्यापार में आने वाली बाधाएं समाप्त हो गयी है और पूरा देश एक बाजार बन गया है। इससे सशक्त विनिर्माण क्षेत्र बनने के साथ ही औपचारिक अर्थव्यवस्था का निर्माण हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भारी बढ़ोतरी हुयी है। वर्ष 2013-14 में 36 अरब डॉलर का एफडीआई आया था जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 60 अरब डॉलर हो गया है। 
 

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