उपराज्यपाल ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिए निर्देश...
दिल्ली में बिजली की मांग को देखते हुए दिल्ली सरकार ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत, सौर ऊर्जा पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि राज्यों से खरीदी जा रही बिजली पर निर्भरता कम हो;
नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली की मांग को देखते हुए दिल्ली सरकार ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत, सौर ऊर्जा पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि राज्यों से खरीदी जा रही बिजली पर निर्भरता कम हो। चूंकि दिल्ली ऐसा राज्य है यहां 300 दिन धूप निकलती है इसलिए यहां सोलर पीवी सिस्टम को लगाने के लिए छतों पर पर्याप्त जगह मौजूद हैं। दिल्ली 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा की जा सकती है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आज समीक्षा बैठक में स्पष्टï कहा कि दिल्ली में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं होने के वाबजूद लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
उन्होंने बैठक में मौजूद अधिकारियेां को निर्देश दिए कि ऊर्जा विभाग मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाएं जो सरकार के विभिन्न विभागों के साथ मिलकर सौर ऊर्जा का उपयोग कर सकें।
उपराज्यपाल ने सचिव ऊर्जा को अन्य विभागों के साथ मिलकर सरकारी भवन, कोर्ट बिल्डिग़, जेल भवन, मॉल, स्कूल, अस्पतालों की छतों पर सोलर पैनल समयबद्ध तरीके से लगाने के लिए रोड़मैप तैयार किया जाए, ताकि 2020 तक एक गीगावाट और 2025 तक दो गीगावाट का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
उपराज्यपाल ने कहा कि अक्षय ऊर्जा भविष्य है और वायु प्रदूषण कम करने के लिए यह एक मजबूत कारक भी है।
उपराज्यपाल ने कहा कि सौर ऊर्जा के फायदे, सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं और व्यक्तिगत मकान मालिक को सोलर ऊर्जा उत्पादन के तरीकों के बारे में जानकारी देने के लिए बिजली कम्पनियां अपने बिल के साथ-साथ अधिकतम जागरूकता हेतु के परचे वितरित करें ताकि दिल्ली में अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सके और लोगों तक इसका लाभ पहुंच सके।
बैठक में उपराज्यपाल अनिल बैजल के अलावा मुख्य सचिव, सचिव ऊर्जा, रजिस्ट्रार जनरल दिल्ली उच्च न्यायालय, प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग, प्रबंध निदेशक डीएसआईआईडीसी, सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, दिल्ली नगर निगम के अधिकारी मौजूद थे।