यहां मनचलों और अपराधियों को बेटियां सिखाती हैं सबक...!
इंदौर ! यहाँ का माहौल अब पूरी तरह बदल चुका है। यहाँ लड़कियां देर रात शहर की सूनी सडक़ों पर बेखौफ घूमती हैं और मनचले तथा अपराधी इनके नाम से ही कांपने लगे हैं।;
गोरिल्ला वेशभूषा में निकलती हैं तो कांपते हैअपराधी
प्रशिक्षु पुलिस अधिकारी ने बनाया समर्थ संगिनी दल
इंदौर ! यहाँ का माहौल अब पूरी तरह बदल चुका है। यहाँ लड़कियां देर रात शहर की सूनी सडक़ों पर बेखौफ घूमती हैं और मनचले तथा अपराधी इनके नाम से ही कांपने लगे हैं। कभी इन मनचलों की फब्तियों से तंग लड़कियां अब शेरनी की तरह शहर ही नहीं आसपास के गांवों में भी जाकर वहाँ की लड़कियों को आत्म रक्षा के गुर सिखा रही हैं। यह सब एक युवा पुलिस अधिकारी की पहल से मुमकिन हो पाया है।
इंदौर जिले के करीब दस हजार की आबादी वाले कस्बे गौतमपुरा में अर्धसैनिक बलों की तरह की वर्दी और नीले खिलाड़ी जूतों में लड़कियों को घूमते देख कर आप चौंक सकते हैं। ये सरकारी तौर पर पदस्थ नहीं हैं, इसी कस्बे की किशोरियां हैं जो अब से पहले तक सडक़ों से नजरें नीची किए निकलती थीं और मनचले इन पर फब्तियां कसने से बाज नहीं आते थे। छेड़छाड़ की घटनाएं भी हो चुकी हैं, बीते दिनों यहाँ पदस्थ 2015 बैच के प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी आशुतोष बागरी ने कुछ ही दिनों में इन लड़कियों को शेरनी की तरह रौबदार सशक्त बना दिया है। अब मनचले और अपराधी इनसे डरते हैं। बागरी खुद इन्हें हर सुबह 5 बजे कुछ घंटों का विशेष पुलिस प्रशिक्षण देते हैं। उनका दावा है कि इनमें से कुछ लड़कियां आगे मेहनत कर पुलिस अधिकारी बन सकेगी, ये लड़कियां मैदान में कसरत, योग और दौड़ में खासा पसीना बहाती हंै।
बागरी इससे खासे उत्साहित हैं। वे बताते हैं कि पहले आमतौर पर लड़कियां अपने साथ होने वाले छेड़छाड़ और अन्य घटनाओं के खिलाफ पुलिस थाना आने में हिचकिचाती थीं। स्कूल, बाज़ार और सडक़ों पर उनके साथ अभद्रता होती थी और घरों में भी औरतें घरेलू हिंसा का शिकार हो रही थीं। लडकियों और महिलाओं के लिए चुप रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। ऐसे में उन्हें विचार आया कि यदि खुद लड़कियां ही सक्षम हो जाएं तो बहुत कुछ बदल सकता है। उन्होंने स्कूलों से संपर्क कर कुछ तेज़ तर्रार लड़कियों की सूची बनाई और उनसे घर-घर जाकर संपर्क किया। कहीं लड़कियां राज़ी नहीं थी तो कहीं माता-पिता। पर धीरे-धीरे सब तैयार हुए. इसे समर्थ संगिनी दल नाम दिया गया है और फिलहाल इनमें 15 लडकियाँ शामिल हैं। इन्हें आम लोगों के अधिकारों से लेकर अपने भीतर छुपी शक्तियोंं का अहसास कराया गया। फिर शारीरिक योग, दौड़, कसरत, कराते और ड्रिल के साथ अनुशासन भी सिखाया गया। इनका प्रशिक्षण पुलिस की तरह ही हुआ है। एक स्वयंसेवी संगठनों ने वर्दियां उपलब्ध करवा दी।
अब हर दिन ये लड़कियां गश्त करती हैं। इनके इस रूप से कभी इनसे छेडख़ानी करने वाले मनचलों की तो मानो शामत ही आ गई है। अब शहर से मनचले पूरी तरह नदारद हैं, साथ ही यातायात नियम तोडने वाले और घरेलू हिंसा करने वाले लोग भी समर्थ संगिनी से खौफ खाने लगे हैं। इनके साथ बागरी और अन्य अफसर भी रहते है। पुलिस जब किसी अपराध के खिलाफ छापा मारती है तो पुलिस के साथ ये लड़कियां भी साथ रहती हैं। एक शराब कारोबारी के ठिकाने पर छापा मारा गया। उसकी नौ बेटियां हैं। पुलिस जब भी छापा मारने जाती थी तो इन लड़कियों को आगे कर दिया जाता था और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ता था। इस बार पुलिस के साथ समर्थ संगिनी होने से छापा सफल हुआ।
अब तो ये गांव-गांव जाकर लड़कियों और महिलाओं में भी आत्मविश्वास जगा रही हैं। उन्हें कानूनन जानकारियां दे रही हंै। मनचलों से कैसे निपटे इसके लिये उन्हे गुर दे रही हैं। लड़कियों ने सोशल मीडिया को भी इसके लिये इस्तेमाल किया है। उहोने अपना वाट्स अप समूह बनाकर गांव-गांव अपना नंबर बांट रही हैं।
इससे पूरे समूह को सूचना हो जाती है। फिर खुद अपनी ड्रेस लगाकर वहाँ पंहुचती हैं और मनचलों या अन्य अपराधी को रंगे हाथों पकड़ कर निपटारा करती हैं और पुलिस को सौंप दिया जाता है। स्थानीय पुलिस भी इन्हें अपना ही एक हिस्सा मानकर अपराध मिटाने और मनचलों को ठीक करने के लिये पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। इन्हें देखकर अब बाकी लड़कियों का भी आत्मविश्वास जाग रहा है। काश... अन्य शहरों में भी ऐसे दल तैयार किए जा सकें।