सिंधु जल बंटवारे के मुद्दे पर भारत के रूख में नरमी नहीं

 स्थायी सिन्धु जल आयोग में भारतीय आयुक्त ने इस्लामाबाद में होने वाली वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने के अपने पाकिस्तानी समकक्ष के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।;

Update: 2017-03-03 18:19 GMT

नयी दिल्ली।  स्थायी सिन्धु जल आयोग में भारतीय आयुक्त ने इस्लामाबाद में होने वाली वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने के अपने पाकिस्तानी समकक्ष के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है, लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि इसे सिंधु जल बंटवारे के मुद्दे पर भारत के रूख में नरमी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

उरी आतंकवादी हमले के मद्देनजर दोनों देशों के बीच तनाव के कारण भारत ने इस मुद्दे पर पिछले वर्ष काफी कड़ा रूख अख्तियार किया था। इस महीने के दूसरे पखवाड़े में होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के भारत के निर्णय को कुछ मीडिया रिपोर्टों में सिंधु जल बंटवारे के मुद्दे पर उसके रूख में नरमी के रूप में देखा जा रहा है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने पुष्टि की है कि भारतीय प्रतिनिधि आयोग की 113 वीं बैठक में हिस्सा लेंगे लेकिन साथ ही स्पष्ट किया ,“ बैठक की तारीख और एजेंडा आयोग के आयुक्त परस्पर सहमति से तय करेंगे और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

” सूत्रों ने हालाकि भारत के रूख में कमी आने की बात को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सरकार और आयोग अलग हैं। उन्होंने कहा कि आयोग का राजनीतिक पहलू से कोई संबंध नहीं है और केवल तकनीकी मामलों से मतलब रखता है। यह आयोग द्विदलीय संस्था है जिसका काम सिंधु जल संधि के रोजमर्रा के प्रावधानों को लागू करना है। इस आयोग की साल में कम से कम एक बैठक अनिवार्य है जो बारी बारी से दोनों देशों में होती है।

इसमें दोनों देशों के आयुक्त होते हैं और 1960 के बाद से इसकी बैठक 112 बार हो चुकी है। आयोग की बैठकों में तकनीकी मुद्दों पर ज्यादा बात होती है और इसका आशय दोनों सरकारों के बीच ‘वार्ता’ नहीं माना जाता।
 

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