बौद्धिक संपदा में भारत 50 देशों में 44 स्थान पर है स्थिर

आईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज में विश्व बौद्धिक संपदा मनाया गया;

Update: 2018-04-27 13:41 GMT

ग्रेटर नोएडा। आईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज में विश्व बौद्धिक संपदा मनाया गया। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य सामान्य व्यक्ति को बौद्धिक संपदा और कॉपीराइट कानून से परिचित कराना था।

इस कार्यक्रम के व्याख्यान में मुख्य रूप से बौद्धिक संपदा कानून के सिद्धान्त और व्यावहारिक उपयोग और संस्थानों तथा आईपी. कानून के विशेषज्ञों के बीच सेतु निर्माण की जरूरत पर प्रकाश डाला गया।

संस्था के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. विकास सिंह ने कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा यानि आईपी. के सूचको में भारत 50 देशों की श्रेणी में 44 वे नंबर पर आता है। यह हमारे जैसे प्रगतिशील देश और उसके इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए सोचनीय विषय है।

डॉ. सिंह ने कहा कि अगर हम अपना पैटेंट रजिस्टर कराते हैं तो अपने रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट के लिए मंत्रालय से फंड के लिए भी आवेदन कर सकते है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित एननोबल आई.पी की फाउण्डर और मुख्य कार्यकारी डॉ. श्वेता सिंह ने आईपीआर व उसमें मैनेजमेंट, पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क व इण्डस्ट्रियल मैनेजमेंट पर व्याख्यान दिया।

उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा एक व्यक्ति की रचनात्मकता से प्राप्त होती है और उसे उस व्यक्ति की निजी संपत्ति माना जा सकता है उन्होंने ट्रेडमार्क पर विस्तृत बात करते हुए कहा कि ट्रेडमार्क किसी के नाम, स्लोगन, डिजायन या किसी विशिष्ट उत्पाद के लिए लिया जाता है, उन्होंने कहा कि ट्रेडमार्क राष्ट्रीय या क्षेत्रीय आधार पर रजिस्टर किए जाते है अपने व्याख्यान के अंत में डॉ. श्वेता सिंह ने पैटेंट के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि किसी विशेष अन्वेषण या प्रोसेस के लिए पैटेंट दिया जाता है जो उस व्यक्ति का अधिकार बन जाता है।

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