भारत और अफगानिस्तान आर्थिक सहयोग बढ़ाएंगे

भारत एवं अफगानिस्तान ने अपनी सामरिक साझेदारी को अधिक मज़बूत करने तथा आतंकवाद को समाप्त करके आर्थिक एवं विकास संबंधी सहयोग को बढ़ाने को लेकर आज विचार विमर्श किया;

Update: 2017-10-24 23:12 GMT

नई दिल्ली। भारत एवं अफगानिस्तान ने अपनी सामरिक साझेदारी को अधिक मज़बूत करने तथा आतंकवाद को समाप्त करके आर्थिक एवं विकास संबंधी सहयोग को बढ़ाने को लेकर आज विचार विमर्श किया जिससे क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता कायम हो सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ गनी के बीच यहां हैदराबाद हाउस में बैठक में दोनों पक्षों ने अपनी सामरिक साझेदारी के प्रति अपनी संकल्पबद्धता दोहराई और हाल ही में उच्चस्तरीय द्विपक्षीय आदान-प्रदानों के परिणामों का मूल्यांकन किया। श्री ग़नी श्री मोदी के निमंत्रण पर आज सुबह नई दिल्ली पहुंचे।

हैदराबाद हाउस में बैठक से पहले श्री गनी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भेंट की और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की। यह पिछले तीन वर्षों में राष्ट्रपति गनी की भारत की चौथी यात्रा थी और दोनों नेताओं के बीच 12वीं द्विपक्षीय बातचीत थी। दोनों नेताओं ने पहले एकांत में और फिर दोपहर के भोज के दौरान विस्तृत चर्चा की। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 16 अक्टूबर को काबुल गए थे और श्री ग़नी को श्री मोदी की ओर से निमंत्रण पत्र सौंपा था।

अफगानिस्तान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला 27 से 29 सितंबर तक भारत यात्रा पर यहां आए थे। जबकि विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी 10 -11 सितंबर को नई दिल्ली आए थे। सूत्रों के अनुसार श्री रब्बानी की यात्रा के दौरान 11 सितंबर को हुई सामरिक भागीदारी परिषद की बैठक में नई विकास साझेदारी का मूल्यांकन पिछले 16 सालों से बेहद सफल विकास सहयोग पर एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में किया गया था।

भारत अफगानिस्तान को स्वास्थ्य, कृषि, पेयजल आपूर्ति, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचे के विकास, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में परियोजनाओं की सहायता देकर देश के पुनर्निर्माण, आर्थिक विकास और प्रभावी प्रशासन में योगदान दे रहा है।

बैठक में अफगानिस्तान पर थोपे गए आतंकवाद से लड़ रहे अफगान बलों की बहादुरी की सराहना की गई। रक्षा और सुरक्षा क्षेत्रों में भारत के गहन सहयोग एवं समर्थन का सकारात्मक मूल्यांकन किया गया जिसमें हजारों अफगान रक्षा और सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण देने तथा उनकी जरूरतों के आधार पर भारतीय पक्ष अधिक सहायता देने पर सहमति शामिल है।

भारतीय नेतृत्व ने अफगानिस्तान में वहां के लोगों के नेतृत्व एवं नियंत्रण वाली राजनीतिक सुलह की प्रक्रिया के प्रति अपना समर्थन दोहराया और हिंसा और आतंक के खात्मे पर बल दिया गया तथा कहा गया कि किसी भी अर्थपूर्ण प्रगति और स्थायी शांति के लिए सरकार समर्थित आतंकवादियों की शरणस्थली का खात्मा आवश्यक है। दोनों पक्ष इस बात से सहमत हुए हैं कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में हाल में बनी वैचारिक सहमतियों के कारण अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता लाने के अवसर पैदा हुए हैं। साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सभी स्तरों पर द्विपक्षीय सामरिक वार्ता और परामर्श को और गहरा करने पर सहमति बनी है। बैठक में कनेक्टिविटी से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।

माल ढुलाई के लिए हवाई गलियारे की स्थापना को अफगान किसानों को भारतीय बाजार में प्रत्यक्ष और आसान पहुंच प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना गया। बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के लिए आने वाले हफ्तों में गेहूं की खेप सहित चाबहार बंदरगाह के शुरुआती संचालन के प्रयासों को एक अहम कदम माना गया जो अफगानिस्तान के लिए नए व्यापार और पारगमन के अवसरों को आकार देगा।

भारतीय पक्ष ने अटारी में अपनी एकीकृत चेक पोस्ट की स्थापना की प्रतिबद्धता को दोहराया। दोनों पक्ष क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने के लिए सहमत हुए और अफगानिस्तान को स्थिर, शांतिपूर्ण, अखंड, प्रगतिशील और बहुलतावादी राष्ट्र के रूप में उभारने के उद्देश्य से विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर परामर्श और सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

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