जिले की 82 पीसीआर डीजल के अभाव में थानों में खड़ी हुई

अपराध पर लगाम लगाने के लिए जब सड़कों पर पुलिस की पीसीआर घूमती है तो बदमाशों के हौसले पस्त रहते है;

Update: 2017-12-04 15:18 GMT

ग्रेटर नोएडा। अपराध पर लगाम लगाने के लिए जब सड़कों पर पुलिस की पीसीआर घूमती है तो बदमाशों के हौसले पस्त रहते है। 
दिल्ली से महज 25 किलोमीटर दूर जिला गौतमबुद्वनगर में अपाराधियों के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं।

इसका कारण पुलिस की लापरवाही नहीं कहेंगे बल्कि सड़कों पर घूमती पीसीआर अब नागरिकों की सुरक्षा के लिए घूमती नजर नहीं आ रही है। पुलिस अधिकारी की माने तो क्षेत्र में घूमने वाली सभी पीसीआर का खर्चा प्राधिकरण द्वारा उठाया जाता है। लेकिन पिछले तीन महीनें से प्राधिकरण द्वारा पुलिस महकमें को डीजल का खर्चा नहीं दिया गया है। जिसके कारण अब सड़कों पर सुरक्षा के लिए पीसीआर नदारद हो गई है।

गौतमबुद्वनगर जिले के सभी 22 थानों और कोतवाली में नागरिकों की सुरक्षा और अपराधियों को जल्द पकड़ने के लिए हर थानों और कोतवाली में पीसीआर दी गई थी। क्षेत्र में घूमने वाली पीसीआर पर ड्यूटी के तौर पर एक दरोगा व चार सिपाही और दो महिला पुलिसकर्मी मौजूद रहती थी। हर पीसीआर को घटना स्थल पर पहुंचने के लिए महज 5 मिनट का समय दिया गया था जिसके कारण वारदात में कमी आई थी और बदमाशों के हौसले पस्त हो जाते थे।

नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि डीजल नहीं मिलने पर पीसीआर को क्षेत्र में नहीं भेज पा रहे है। पीसीआर के बंद होने के कारण बदमाशों के हौसले फिर से बुलंद हो रहे है क्योकि सड़कों पर पीसीआर नदारद हो रही है। लखनऊ से दी गई डायल 100 की पीबीआर कम होने के कारण सड़कों पर हो रहे अपराध को रोकने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

बसपा सरकार में मुख्यमंत्री मायावती ने सभी थानों और कोतवाली में चलाई गई पीसीआर को टेंण्डर के जरिए लगावाया था जिसमें डीजल का खर्चा प्राधिकरण द्वारा दिया जाता था।

सरकार बदलने के बाद अब प्राधिकरण ने पीसीआर के डीजल का खर्चा वहन करने से इंकार कर दिया है। लखनऊ से दी गई पीसीआर के डीजल का खर्चा सभी पीसीआर पर तैनात दरोगा को लखनऊ से दिए गए कार्ड के जरिए किया जाता है। एसएसपी लव कुमार ने बताया कि पीसीआर जल्द दोबारा से क्षेत्र में घूमेगी बात चल रही है। फिलहाल सुरक्षा के लिए क्षेत्र में पीसीआर घूम रही है।

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