आईआईटी सुझाएगी कैसे हो नालों की गाद का बेहतर इस्तेमाल
दिल्ली में मानसून आ चुका है और नालों से गाद निकालने को लेकर स्थितियां अभी भी संतोषजनक नहीं हैं;
नई दिल्ली। दिल्ली में मानसून आ चुका है और नालों से गाद निकालने को लेकर स्थितियां अभी भी संतोषजनक नहीं हैं। मामले पर विधानसभा में प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग को जेल भेजने तक की मांग हो चुकी है और प्रस्ताव भी पारित किया गया जा चुका है। राजनिवास ने आज समीक्षा के लिए दूसरी बैठक की और बैठक में अरविन्द केजरीवाल, लोक निर्माण मंत्री सत्येन्द्र जैन के साथ-साथ मुख्य सचिव व कई अधिकारियों की मौजूदगी में उपराज्यपाल को बताया कि नालों की सफाई और जलभराव रोकने के लिए लोक निर्माण विभाग काम कर रहा है।
लोक निर्माण विभाग ने जून से सितम्बर तक सभी विभागों के लिए जलजमाव की शिकायतों के लिए एक पूर्णकालिक काल सैंटर स्थापित किया गया है जिसका टोल फ्री नम्बर 1800118595 है। इसके अलावा जून से सितम्बर तक एक मानसून कन्ट्रोल रूम बनाया है जिसका टोल फ्री नम्बर 1800110093 और व्हाटसएप नम्बर 8130188222 है। उपराज्यपाल इनके नियमित काम करने व जांच के निर्देश दिए। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ ने बताया कि विभाग ने 155 संवेदनशील स्थानों की पहचान की है जिसमें 27 फ्लैश प्वांइट और इन सबको नियंत्रित करने के लिए प्रबंध भी किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने 53 संवेदनशील स्थानों में नालों में सुधारिकरण कर दीर्घकालिक समाधान भी खोजे हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा 370 संवेदनशील स्थानों की जांच कर जलजमाव रोकने के लिए कार्यवाही की जा रही है। इसके अतिरिक्त 58 स्थान जो अन्य विभागों से संबंधित है के साथ समन्वय किया गया है।
उपराज्यपाल ने जोर दिया कि नालों की सफाई की सैक्शन अनुसार जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए ताकि संबंधिंत इंजीनियर की समय पर सफाई न करने और गाद के निस्तारण के लिए जिम्मेदारी तय हो। गाद निकालने और पम्प लगाने की क्षेत्रानुसार रिपोर्ट मांगी साथ ही कहा किसमाधान के लिए तथ्य जुटाएं। दिल्ली जल बोर्ड ने बताया कि अलग अलग स्थानों से ली गई 11 तरह की गाद को आईआईटी दिल्ली में यह जानने के लिए भेजा गया है कि इसका भविष्य में कैसे बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि निकाली हुई गाद के प्रभावी और त्वरित निपटान के लिए सुपर शकर मशीन जैसी नवीनतम तकनीक का लाभ उठाएं ताकि इसको दुबारा नालों में जाने से रोका जा सके।