अनुसूचित जाति के छात्रों से फीस वसूला तो होगी कार्रवाई

 अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षण संस्थानों में  दाखिला दिए जाने का प्रावधान है;

Update: 2017-08-08 13:42 GMT

ग्रेटर नोएडा।  अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षण संस्थानों में  दाखिला दिए जाने का प्रावधान है। 

यह व्यवस्था वर्ष 2012 से लागू है, लेकिन शिक्षण संस्थान प्रवेश के नाम पर अनुसूचित जाति व जन जाति के छात्र-छात्राओं से भी मोटी फीस वसूल रहे है। ऐसे में समाज कल्याण विभाग शिक्षण संस्थानों से कितने अनुसूचित जाति व जन जाति के छात्र-छात्राओं को शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क दाखिला किया जवाब मांगेगा। इसके लिए विभागीय स्तर से कवायद शुरू हो गई है। दरअसल स्नातक कक्षाओं में दाखिले के लिए खूब मारा-मारी होती  है।

राजकीय व सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सीमित सीटों पर हर किसी को दाखिला नहीं मिल पाता है। हर विद्यार्थी के लिए निजी कॉलेजों में दाखिला व फीस का खर्च उठाना संभव नहीं हो पाता। इससे बड़ी संख्या में गरीब विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, जिनमें सर्वाधिक संख्या दलित विद्यार्थियों की होती है। केंद्र सरकार उच्च शिक्षा पर जोर दे रही है।

इसी के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति के विद्यार्थियों के लिए स्नातक में मुफ्त दाखिले की सुविधा दी गई है, जिसमें कई प्रोफेशनल व एनजीओ से जुड़े कोर्स भी शामिल हैं। लेकिन शिक्षण संस्थान सीट फुल होने का झांसा देकर दाखिला देने में विद्यार्थियों की जेब ढीली करा रहे है। अनसूचित जाति व जन जाति के दर्जनों छात्रों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की है।

जिसके बाद समाज कल्याण विभाग मामले की सत्यता में जुटा है। जिला समाज कल्याण अधिकारी आनन्द कुमार सिंह ने बताया कि स्नातक व प्रोफेशनल कोर्सों में अनुसूचित जाति व जन जाति के उन विद्यार्थियों को जिनके परिवार की आय दो लाख से कम है, कॉलेजों में दाखिला फीस नहीं देनी होती।
शिक्षण संस्थानों में दाखिला दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। 

कितने अनुसूचित जाति व जन जाति के छात्रों को नि:शुल्क दाखिला दिया जाएगा। यदि कोई शिक्षण संस्थान शासनादेश का अनुपालन नहीं करता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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