सर्दियों में आपकी ये एक गलती बिगाड़ सकती है सेहत, पहले ही हो जाएं सावधान

सर्दियों में अक्सर लोगों को प्यास कम लगती है। ठंडी हवा, हीटर और सूखा वातावरण की वजह से शरीर धीरे-धीरे अंदर से सूखने लगता है;

Update: 2025-12-02 17:10 GMT

सर्दियों की सबसे बड़ी गलती: पानी भूलना सेहत पर भारी

  • ठंड में छुपा खतरा – डिहाइड्रेशन से बिगड़ सकता है आपका स्वास्थ्य
  • कम प्यास, ज्यादा रिस्क: सर्दियों में पानी की कमी से बचें
  • गुनगुना पानी है सर्दियों का असली हेल्थ मंत्र
  • डिहाइड्रेशन के लक्षण पहचानें और ठंड में रहें फिट

नई दिल्ली। सर्दियों में अक्सर लोगों को प्यास कम लगती है। ठंडी हवा, हीटर और सूखा वातावरण की वजह से शरीर धीरे-धीरे अंदर से सूखने लगता है। कई लोग पानी पीना भूल जाते हैं और यही छोटी सी आदत धीरे-धीरे डिहाइड्रेशन का बड़ा कारण बन जाती है।

डॉक्टर बताते हैं कि हर 10वां मरीज सर्दियों में पानी की कमी से परेशान होता है और इस समस्या को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। डिहाइड्रेशन सिर्फ गर्मियों की समस्या नहीं है, सर्दियों में भी यह छुपा हुआ खतरा बना रहता है।

जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो कई प्रक्रियाएं प्रभावित होने लगती हैं। ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है, किडनी ठीक से टॉक्सिन नहीं निकाल पाती, इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ता है और इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है। इसके शुरुआती संकेतों में सिरदर्द, थकान, त्वचा का रूखा होना, होठ फटना, पेशाब का गहरा रंग, मांसपेशियों में खिंचाव, तेज दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर गिरना और हल्का चक्कर आना शामिल हैं। बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाएं इस स्थिति में सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं।

आयुर्वेद में इसे 'त्रिष्णा विकार' कहा गया है। पानी की कमी से रसधातु कमजोर हो जाती है, अग्नि मंद पड़ती है और वात बढ़ने लगता है। इससे शरीर शुष्क हो जाता है, ऊर्जा घटती है और कब्ज या गैस जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। आधुनिक विज्ञान भी कहता है कि शरीर का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा पानी है और इसके बिना शरीर की सभी कार्यप्रणालियां प्रभावित होती हैं।

सबसे अच्छा तरीका है सुबह उठकर गुनगुना पानी पीना, दिनभर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी लेना और भोजन से 30 मिनट पहले पानी पीना। खाना खाते समय ज्यादा पानी न पिएं। सर्दियों में भी 7-8 गिलास पानी जरूरी है। अगर शारीरिक मेहनत ज्यादा है तो पानी की मात्रा बढ़ाएं। गुनगुना पानी सर्दियों में सबसे बेहतर रहता है।

पेशाब रोकने की आदत भी खतरे को बढ़ा सकती है। यह किडनी पर दबाव डालता है, टॉक्सिन जमा होने लगते हैं और यूटीआई की संभावना बढ़ जाती है। ब्लैडर कमजोर होने लगता है।

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