हार्दिक का ऐलान, कांग्रेस के साथ पाटीदार

पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के संयोजक हार्दिक पटेल ने आज कहा कि कांग्रेस की ओर से सुझाया गया आरक्षण का फार्मूला सही है;

Update: 2017-11-23 01:05 GMT

अहमदाबाद। पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के संयोजक हार्दिक पटेल ने आज कहा कि कांग्रेस की ओर से सुझाया गया आरक्षण का फार्मूला सही है और उनका संगठन हालांकि पार्टी को सीधे तौर पर समर्थन की घोषणा नहीं कर रहा पर सत्तारूढ भाजपा के विरोध के चलते गुजरात विधानसभा चुनाव में उसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन देते हैं। 

हार्दिक ने यहां संवाददाता सम्मेलन में यह भी आरोप लगाया कि भाजपा गुजरात चुनाव में पाटीदार मतों का बंटवारा करने के लिए 200 से 300 करोड़ रूपये खर्च कर निर्दलीय उम्मीदवारों को उतार रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेहद करीबी समझने वाले और गुजरात के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के कैलाशनाथन पर उन्हें राजद्रोह मामले में जेल में रहते हुए आंदोलन समेटने के लिए 1200 करोड़ रूपये का ऑफर देने का आरोप भी लगाया। 

हार्दिक ने फार्मूले को बताया सहीं

पास नेता ने कहा कि आरक्षण पर कांग्रेस के तीन फार्मूला में से पहला ही इतना सही निकला कि बाकी अन्य पर विचार की जरूरत नहीं पड़ी। इससे पाटीदार समुदाय के अन्य लोगों के साथ ही दो प्रमुख संस्थान उमिया धाम और खोंडलधाम भी सहमत हैं।  लेकिन हार्दिक के दावे के उलट दोनों ही प्रमुख संस्थानों ने हार्दिक के दावे को गलत करार देते हुए कहा कि न तो उन्हें इस फार्मूले के बारे में जानकारी है और न ही उन्होंने कांग्रेस के समर्थन का ऐलान किया है।

क्या है आरक्षण का कांग्रेसी फार्मूला

कांग्रेस ने अनुसूचित जाति/जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग के 49 प्रतिशत आरक्षण को ज्यों का त्यों रखते हुए पाटीदार तथा अन्य गैर आरक्षित जातियो के लिए संविधान की धारा 31 (सी) और 46 तथा 15(4) तथा 16 (4) के प्रावधानों के अनुरूप आरक्षण के लिए कानून बनायेगी। कांग्रेस सरकार बनते ही गुजरात विधानसभा में इसके लिए विधेयक पारित करेगी। इसके लिए मंडल आयोग के 22 प्रतिमान के अनुरूप सर्वेक्षण भी कराया जायेगा। कांग्रेस इस पूरे फार्मूला को अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी। 

कुछ राज्यों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण

हार्दिक ने दावा किया, संविधान के प्रावधान के अनुरूप 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में तीन अलग अलग निर्णय दिये हैं। 1994 के बाद से 9 राज्यों ने 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जिनमें से कुछ पर अदालत ने रोक लगा दी पर कर्नाटक, तमिलनाडु समेत कुछ राज्यों में ऐसी व्यवस्था लागू भी है।

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