जीएसटी में सॉफ्टवेयर को कर मुक्त रखने का किया आग्रह

देश में 1 जुलाई से जीएसटी लगने के बाद देश भर में कंप्यूटर और एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है;

Update: 2017-07-07 00:42 GMT

नई दिल्ली। देश में 1 जुलाई से जीएसटी लगने के बाद देश भर में कंप्यूटर और एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है, यहां तक कि जो व्यापारी अभी तक अपने यहां कंप्यूटर नहीं लगा पाए थे वो भी अब कंप्यूटर लगाने पर तेजी से काम कर रहे हैं और यदि इसी प्रकार यह ट्रेंड चलता रहा तो देश के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक व्यवस्था के दायरे में आएगा।

देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल टेक्नोलॉजी से जोड़ने हेतु प्रेरित करने के लिए व्यापारियों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि फिलहाल कुछ निश्चित अवधि तक एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर को या तो कर मुक्त रखा जाए या फिर पांच प्रतिशत के कर स्लैब में रखा जाए क्योंकि अभी जीएसटी में सॉफ्टवेयर 18 प्रतिशत के कर स्लैब में आता है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि तेजी से बढ़ती मांग के बावजूद कंप्यूटर के विभिन्न पार्ट पर अलग-अलग कर दर होने से डिजिटल टेक्नोलॉजी का सुविधापूर्वक अपनाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहां कंप्यूटर का सीपीयू 18 प्रतिशत की कर दर में है वहां कंप्यूटर मॉनिटर 28 प्रतिशत की कर दर में जिसके कारण से जटिलता उत्पन्न हो रही है और कहीं न कहीं व्यापारी हतोत्साहित भी हो रहा है।

देश में डिजिटल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की सरकार की प्राथमिकता को देखते हुए सरकार को कंप्यूटर एवं इससे सम्बंधित सभी उत्पादों को 18 प्रतिशत की कर दर में रखने का सुझाव कैट ने दिया है। जीएसटी के कर दरों में विसंगतियों और उलझनों को दूर करते हुए एक सरल और सीधी कर व्यवस्था को बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि इसी का पूरा प्रभाव जीएसटी पर पड़ेगा।

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