निजी स्कूलों में आरटीई एक्ट का नहीं हो रहा है पालन
ग्रेटर नोएडा ! स्कूलों में दाखिला फीस का विरोध करने के बावजूद लोगों से अनावश्यक रूप से अभिभावकों पर भार डाला जाता रहा है, कभी किताब के नाम पर तो कभी सुविधा के नाम पर बीस से;
बेतहाशा फीस वृद्धि से नौनिहालों के शिक्षा पर पड़ सकता है असर
ग्रेटर नोएडा ! स्कूलों में दाखिला फीस का विरोध करने के बावजूद लोगों से अनावश्यक रूप से अभिभावकों पर भार डाला जाता रहा है, कभी किताब के नाम पर तो कभी सुविधा के नाम पर बीस से तीस प्रतिशत तक की फीस बढ़ा दी जाती है। अभिभावक संघ का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेशों को लागू तो किया जाता है, लेकिन वो सिर्फ खानापूर्ति के सिवाए कुछ भी नहीं है। हर बार लोग प्रशासन से वर्ष 2009 के आरटीई एक्ट (शिक्षा का अधिकार) को सख्ती से लागू करने का मांग करते आ रहे हैं।
मगर अभी तक स्कूलों में गैर जरुरी किताबों को बंद नहीं किया गया। कई किताबें मात्र संख्या वृद्वि व थोड़े से मुनाफे के लिए स्कूलों में लगाई जाती हैं। जिनका होने वाली वार्षिक परीक्षा से व असल सिलेबस से कोई प्रश्न डाला भी नहीं जाता। जो पुस्तक बाजार में 50 रुपए की मिल सकती है वहीं स्कूलों में अन्य पब्लिशर्स द्वारा दोगुने दामों में बेची जा रही हैं। स्कूलों में किताबें व वर्दियां बेचने पर लगी पाबंदी कहीं नजर नहीं आ रही है। जिले के कई स्कूलों में तो पीने का साफ पानी, स्वच्छ बाथरुम व खेल मैदान तक नहीं है। इसी तरह स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने वाले वाहनों में भी पूरी तरह गाइड लाइन का पालना नहीं किाया जाता। कई वाहन तो सडक़ों पर चले लायक भी नहीं हैं। बसों में ड्राइवरों, कंडक्टरों व महिला सहायक तक की व्यवस्था मात्र चेंकिंग के दिन ही की जाती है। बाकी दिन सडक़ों पर बीमा सुरक्षा के वाहन चलाए जाते हैं। सीबीएसई ने प्राइवेट स्कूलों को भी निर्देश दिए हैं कि एनसीईआरटी की किताबें ही पाठ्यक्रम में शामिल की जाएं। जिले के कई प्राइवेट स्कूलों में इसे पूरी तरह से अमल नहीं किया जा रहा है। जिला प्रशासन की तरफ से कोई आदेश नहीं जारी किया गया है कि निजी स्कूल मनमर्जी से फीस नहीं लेगा, कैंपस में किताबों यूनिफार्म की दुकान नहीं खोलेगा, स्टॉल नहीं लगाएगा। जिलों में अभिभावक एसोसिएशन भी बनी है जो संघर्ष कर रही है। जिन्होंने पिछले कई वषों से संघर्ष कर अधिकारियों को ज्ञापन देती आ रही हैं।