सरकार कंपनियों पर नकेल कसने में नाकाम
केजरीवाल सरकार और दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के रवैए के कारण दिल्ली के बिजली उपभोक्ता कंपनियों के 41419 करोड़ रुपए के कर्जदार हो गए हैं;
नई दिल्ली। दिल्ली में बिजली के दामों को बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है सच ये है कि केजरीवाल सरकार और दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के रवैए के कारण दिल्ली के बिजली उपभोक्ता कंपनियों के 41419 करोड़ रुपए के कर्जदार हो गए हैं। हर दिल्लीवासी पर लगभग 20 हजार रुपए का कर्ज है। इस स्थिति के कारण बिजली कंपनियों ने बिजली के दामों में भारी बढ़ोतरी का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया है और जल्द ही बिजली कंपनियां अपने प्रयासों में सफल होती दिखाई दे रही हैं।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने यह आशंका जताते हुए कहा कि डीईआरसी में तीन सदस्यों के साथ पर मात्र एक सदस्य है और वह भी अध्यक्ष का पद भी संभाले हुए है। ऐसे में डीईआरसी बिजली कम्पनियों पर निगाह रखने में सक्षम नहीं हैं और दिल्ली सरकार के पास इन कंपनियों पर नकेल कसने के लिए न इच्छा शक्ति है और न समय है। उन्होने कहा कि इस वृद्धि की कवायद इस कारण से भी और अधिक दुखद है क्योंकि बिजली की लागत में कमी आई है और उपलब्धता कहीं ज्यादा बढ़ी है । यदि सरकार और दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग समय रहते सतर्कता दिखाता तो इतनी अधिक देनदारी नहीं बनती । परन्तु इन दोनों की अकर्मणयता के चलते बिजली कम्पनियों का दाम बढ़ाने का खेल सफल होता नज़र आ रहा है।
विपक्ष के नेता ने कहा कि इस सारे मामले में पेंच यह है कि दिल्ली सरकार और दिल्ली विनियामक आयोग बिजली कंपनियों के दावों को जांचने में विफल रही हैं। नतीजतन बिजली कंपनियां अपने मनमाने तरीके से अपना खर्च को प्रोजेक्ट करती रही हैं। विजेन्द्र गुप्ता ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार ने आज तक सीएजी की रिपोर्ट पर कार्यवाही का दबाव क्यों नहीं बनाया।