चुनाव के बीच खेल
विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और उसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए जनता के बीच फिर से जाना है;
- सर्वमित्रा सुरजन
श्री मालवीय जिस तरह कांग्रेस नेताओं पर पैनी निगाह बनाए हुए हैं, वह भी अपने आप में एक मिसाल ही है। कभी राहुल गांधी की टी-शर्ट के नीचे कौन सा अंत:वस्त्र पहना है, इसकी पड़ताल की जाती है, कभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री अपने मोबाइल पर कौन सा खेल खेलते हैं, इस पर चर्चा होती है। भाजपा को आश्चर्य भी हो रहा होगा कि आखिर कांग्रेस नेता ऐसा खेल क्यों खेल रहे हैं, जिसमें कोई पेचीदे नियम नहीं हैं।
विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और उसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए जनता के बीच फिर से जाना है। देश के राजनैतिक माहौल में इस वक्त सारी चिंताओं से बढ़कर सबसे बड़ी चिंता चुनावों की ही नजर आ रही है। जो सत्ता में है वो उस पर किसी भी तरह से बने रहने की कोशिश में है, जो नहीं है, उसका सारा ध्यान इसी बात पर है कि किसी भी तरह सत्ता में लौटा जाए। भाजपा के लिए भी यही चिंता इस वक्त दिखाई दे रही है, लेकिन भाजपा नेता अमित मालवीय का एक ट्वीट आया है, जिसे देखकर समझ आता है कि भाजपा की चिंता सत्ता में बने रहना तो है ही, कांग्रेस और कांग्रेस के नेता उसके लिए सबसे बड़ी चिंता बने हुए हैं। तभी तो कांग्रेस की हर छोटी-बड़ी बात पर भाजपा चील जैसी पैनी निगाह रख रही है। अपने एक ट्वीट में अमित मालवीय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की एक तस्वीर डालते हुए लिखा है-कितनी भी माथा-पच्ची कर लें, सरकार तो आनी नहीं है इसलिए कैंडी क्रश खेल रहे हैं। दरअसल प्रदेश चुनाव समिति की एक बैठक में किसी ने मुख्यमंत्री बघेल की यह तस्वीर खींची है।
इस बैठक में चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा होनी थी, और इसमें श्री बघेल के अलावा चुनाव प्रभारी कुमारी शैलजा और उपमुख्यमंत्री एम टी एस सिंह देव समेत कुछ नेता भी शामिल थे। इसी दौरान किसी ने भूपेश बघेल के पीछे से यह फोटो खींच ली और अब यह फोटो वायरल हो गई है। पीछे से खींची गई फोटो से साफ है कि फोटो लेने वाला जानता था कि वह किसकी फोटो ले रहा है और किस तरह ले रहा है, जबकि श्री बघेल इससे अनभिज्ञ रहे होंगे, यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है।
इस फोटो को यूं ही नहीं खींचा गया है, ये भी जाहिर सी बात है। क्योंकि ऐसे ही खींची गई तस्वीर वायरल नहीं करवाई जाती। बैठक कांग्रेस की थी और उम्मीदवारों केचयन को लेकर थी, तो इसका मतलब इसमें बहुत सी ऐसी बातें भी हुई होंगी, जो बाहर नहीं जाना चाहिए। लेकिन अगर फोटो बाहर आ सकती है, तो क्या बैठक के दौरान की गई बातें बाहर नहीं गई होंगी, ये भी विचारणीय है। बहरहाल, ये सोचना कांग्रेस का काम है कि आखिर उसकी बंद कमरे की बैठक में क्या घर के भेदी भी शामिल हुए थे, या कोई है, जो दोनों ओर का खेल खेल रहा है। चुनावों में ऐसे खेलों से ही अक्सर बाजी पलट जाया करती है।
वैसे यह जानना भी रोचक है कि भाजपा की दिलचस्पी आखिर किस किस्म के खेल में है। क्योंकि जिस तरह से अमित मालवीय ने भूपेश बघेल पर तंज कसा कि सरकार तो आनी नहीं है, इसलिए कैंडी क्रश खेल रहे हैं। उससे यह संदेश निकल रहा है कि भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। हालांकि भूपेश बघेल ने भी जवाब दे दिया है कि पहले भाजपा को ऐतराज था कि मैं गेड़ी क्यों चढ़ता हूं, भौंरा क्यों चलाता हूं, गिल्ली-डंडा क्यों खेलता हूं, प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक क्यों हो रहे हैं? कल एक बैठक से पहले फ़ोटो मिल गई जिसमें मैं कैंडी क्रश खेल रहा हूं। अब भाजपा को उस पर ऐतराज़ है। दरअसल उनको मेरे होने पर ही ऐतराज है। पर यह तो छत्तीसगढ़ के लोग हैं जो तय करते हैं कि कौन रहेगा कौन नहीं रहेगा। मैं गेड़ी भी चढूंगा। गिल्ली-डंडा भी खेलूंगा। कैंडी क्रश भी मेरा फेवरेट है। ठीक-ठाक लेवल पार कर लिया हूं, वो भी जारी रहेगा। बाकी छत्तीसगढ़ को पता है कि किसे आशीर्वाद देना है।
मुख्यमंत्री बघेल ने बिल्कुल माकूल जवाब दे दिया है। वाकई वो कैंडी क्रश के अच्छे खिलाड़ी हैं, उनके ही ट्वीट से पता चला है कि वो 4400वें स्टेज पर पहुंच गए हैं। पाठक जानते ही हैं कि कैंडी क्रश खेल में एक ही रंग की दो कैंडी का मिलान करते हुए आगे बढ़ते हैं। कुछ लोगों के लिए ये टाइमपास है, कुछ के लिए अपनी निगाहों के पैनेपन को जांचने का तरीका और कुछ के लिए मनोरंजन। चुनाव की थकान और तनाव के बीच अगर भूपेश बघेल कैंडी क्रश खेल रहे हैं, तो उस पर किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। वैसे बात निकली है, तो यह प्रसंग याद आ गया कि इसी साल जून में क्रिकेट सितारे एम एस धोनी का फ्लाइट में कैंडी क्रश खेलते हुए एक वीडियो वायरल हुआ, इसके बाद तीन घंटे में कुछ 30 लाख लोगों ने इस गेम को अपने फोन पर डाउनलोड किया। कैंडी क्रश ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर इसके लिए धोनी को धन्यवाद भी दिया कि आपकी वजह से हम ट्रेंड कर रहे हैं। अब शायद कैंडी क्रश एक धन्यवाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी दे कि उनकी वजह से वह फिर चर्चा में आ गया या इस बार का धन्यवाद अमित मालवीय के लिए रहेगा।
श्री मालवीय जिस तरह कांग्रेस नेताओं पर पैनी निगाह बनाए हुए हैं, वह भी अपने आप में एक मिसाल ही है। कभी राहुल गांधी की टी-शर्ट के नीचे कौन सा अंत:वस्त्र पहना है, इसकी पड़ताल की जाती है, कभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री अपने मोबाइल पर कौन सा खेल खेलते हैं, इस पर चर्चा होती है। भाजपा को आश्चर्य भी हो रहा होगा कि आखिर कांग्रेस नेता ऐसा खेल क्यों खेल रहे हैं, जिसमें कोई पेचीदे नियम नहीं हैं, सीधा-सादा जोड़ी मिलाने का खेल है। भई, खेल खेलना है तो फिर ट्रोल आर्मी का खेल देखें या फेक न्यूज फैक्ट्री का, जो हर दिन नए-नए झूठ जनता के बीच परोसने का खेल खेलती है। जैसे अभी इजरायल के फिलीस्तीन पर किए हमले में भारत के राष्ट्रवादियों ने लाइन से इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की 9-10 साल पुरानी तस्वीर डाल दी और लिखा कि सच्चे देशभक्त, बहादुर नेता, जो हमास से लड़ने के लिए अपने बेटे को मोर्चे पर भेज रहे हैं। हकीकत ये है कि ये तस्वीर तब की है, जब नेतन्याहू का बेटा सेना का आवश्यक प्रशिक्षण लेकर लौटा था। राष्ट्रवादियों में से एक ने सोनिया गांधी से मांग कर दी कि वे राहुल गांधी को चीन से लड़ने के लिए भेज कर बताएं। इस बहादुर इंसान ने श्री मोदी या उनकी केबिनेट के मंत्रियों और उनके होनहार बच्चों का नाम नहीं लिखा।
शहादत के नाम पर गांधी परिवार ही उसे याद आया। हमारे पत्रकार बंधु भी पिछले कई सालों से पत्रकारिता का गजब खेल खेल रहे हैं। मणिपुर जाकर जो जमीनी हकीकत का पता नहीं लगा सके, वो इजरायल की रिपोर्टिंग में दिन-रात एक कर रहे हैं। उन्हें इस खेल की प्रेरणा प्रधानमंत्री से ही मिली होगी। जिन्होंने मणिपुर पर दो लाइन कहने के लिए तीन महीने का लंबा वक्त लिया, लेकिन इजरायल पर हमले की खबर सुनते ही सदमे वाला ट्वीट कर दिया। ऐसी संवेदनशीलता लाने के लिए कौन सी राजनीति का खेल खेला जा रहा है, ये समझना कठिन नहीं है। प्रधानमंत्री ने अभी फिर कहा है कि भारत इजरायल के साथ है। वे चाहते तो कह सकते थे कि भारत फिलीस्तीन के साथ है, भारत मानवता के साथ है।
लेकिन फिर उन्हें अपने ऊपर भी तो जवाब देना है। इस खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी अमेरिका तो अभी जंग की इस पारी को और लंबा खींचना चाहता होगा, ताकि हथियारों की बिक्री बढ़े और उसका मुनाफा भी। अमेरिका तो अपने खेल को छिपाता भी नहीं। यूक्रेन अपनी आजादी के लिए लड़े तो उसके साथ और फिलीस्तीन अपनी मुक्ति की बात करे तो वो आतंकी, ये दोहरे मापदंड बड़ी आसानी से उसने अपनाया है और उसके पिछलग्गू भी वही कर रहे हैं। अमेरिका की युद्ध वाली रिले रेस का हिस्सा हम न ही बनें तो अच्छा है, लेकिन इसके लिए सख्ती तो दिखानी होगी। वैसे इजरायल अभी भारत का साथ पाकर खुश हो जाए, लेकिन उसे भी ये खेल शायद पूरी तरह समझा नहीं है। जो लोग अभी इजरायल के साथ खड़े होने का दावा कर रहे हैं, ये वही जमात है, जिसे हिटलर के शुद्ध रक्त और नस्ल वाले विचार आकर्षक लगते हैं।
दुनिया में जंग का खेल चल रहा है, जिसमें मुनाफा कमाया जा रहा है और हमेशा की तरह औरतों, बच्चों और तमाम मासूमों के साथ पैशाचिक व्यवहार किया जा रहा है। छोटी या बड़ी जंग, हर जगह सबसे पहला निशाना औरतें ही बनती हैं। मणिपुर से लेकर इजरायल और फिलीस्तीन तक यही नजर आया है। ऐसे खूनी और विनाशकारी खेल पर पैनी निगाह होनी चाहिए, ताकि जहां इसकी शुरुआत दिखे, वहीं उसे रोक दें। कैंडी क्रश खेलने में तो किसी का नुकसान नहीं है। लेकिन भाजपा अभी कैंडी क्रश खेलने वालों की निगरानी कर रही है। उसका पसंदीदा खेल शायद यही है।