नियमों को गए भूल खूब उड़ाई धूल
एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाने में बिल्डरों का कोई परेशानी नहीं है;
गाजियाबाद। एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाने में बिल्डरों का कोई परेशानी नहीं है। हर महीने आदेशों को ताक पर रखकर काम रहे इन बिल्डरों पर जुर्माना लग रहा है लेकिन वे बाज नहीं आ रहे है। रिपोर्ट पर गौर करें तो दो साल में सौ से अधिक बिल्डरों पर 62 लाख का जुर्माना जीडीए के अफसरों ने लगाया है।
इसमें विगत चार दिनों में ही 52 बिल्डरों पर 23 लाख का जुर्माना लगाया गया है। छोटे बिल्डर से लेकर नगर विधायक के प्रोजेक्ट लैंडक्राफ्ट तक पर एक नहीं तीन बार जुर्माना लगाया गया है। फिर भी एनजीटी के आदेशों का अनुपालन वे नहीं कर रहे है। खास बात यह है कि सबसे अधिक राजनगर एक्सटेंशन के बिल्डर निर्माण कार्यों के चलते धूल उड़ा रहे है। खुले में निर्माण सामग्री डाली जा रही है। निर्माणाधीन बिल्डिंगों पर हरा कपड़ा भी नहीं डाला जा रहा है।
खुद डीएम एवं जीडीए वीसी रितू माहेश्वरी स्मॉग के चलते फील्ड में निकली तो जीडीए ने सक्रियता दिखाई और दो साल में 56 बिल्डरों पर 39 लाख तो चार दिन में 52 बिल्डरों पर 23 लाख का जुर्माना लगा दिया है। रोज पांच से छह लाख का जुर्माना लगाया जा रहा है। अवैध निर्माणों को भी थोक के भाव सील किया जा रहा है।
जुर्माना लगाए जाने वाले बिल्डरों में प्रमुख रूप विभोर वैभव, हाई एंड, एससीसी, एमआरजेवी, एसआरबी, आईडिया, श्याम बिल्डवेल, एसवीपी, शोभित फाइनेंस, कैराल, एमआर मिततल, आर के एस, चार्म्स इण्डिया, यूरेका, टैकमेन, एस विश्वनाथन, अंसल हाउसिंग, लैंडक्राफट, रक्षा विज्ञान कर्मचारी सोसायटी, हाईटैक सिटी,सामग, एसएमवी, अग्रवाल एसोसिएटस, एपीजी, यूटिलिटि, अम्बा, आदिनाथ, रियल एंकर्स, एमकेएस, निहो, शिप्रा रिवेरा, शोमेन क्लब, आदि बेस्ट, रामप्रस्थ और केडीपी शामिल है।