तमिलनाडु के मुल्लापेरियर बांध से अचानक पानी छोड़ने से आई बाढ़

केरल सरकार ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा मुल्लापेरियर बांध से अचानक पानी छोड़ना भी राज्य में आई भीषण बाढ़ का एक प्रमुख कारण रहा;

Update: 2018-08-23 22:42 GMT

नई दिल्ली। केरल सरकार ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा मुल्लापेरियर बांध से अचानक पानी छोड़ना भी राज्य में आई भीषण बाढ़ का एक प्रमुख कारण रहा। मुख्य सचिव द्वारा दायर एक हलफनामे में, केरल सरकार ने कहा कि चूंकि मुल्लापेरियर बांध में जलस्तर 137 फीट को पार कर गया था, उसके बाद केरल के अधिकारियों ने बांध के पास रहने वाले लोगों को युद्धस्तर पर वहां से हटाया था।

हलफनामे में कहा गया कि केरल की लगभग 3.48 करोड़ की कुल आबादी में से 54 लाख से अधिक लोग या कुल आबादी का छठा हिस्सा बाढ़ से सीधे प्रभावित हुआ है।

हलफनामे ने आगे कहा गया कि उसके इंजीनियरों द्वारा पहले ही चेता देने के बाद केरल के जल संसाधन सचिव ने तमिलनाडु में अपने समकक्ष और मुल्लापेरियर बांध की पर्यवेक्षी समिति के अध्यक्ष को जलाशय के पूर्ण स्तर तक पहुंचने की प्रतीक्षा किए बिना पानी को नियंत्रित रूप से छोड़ने का अनुरोध करने के लिए पत्र लिखा था।

हलफनामें में कहा गया, "उसके बाद, तमिलनाडु सरकार से भी धीरे-धीरे पानी छोड़ने का अनुरोध किया गया था .. लेकिन इस संबंध में तमिलनाडु से बार-बार अनुरोध के बाद भी कोई सकारात्मक आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ .."

हलफनामे में कहा गया, "लेकिन, पेरियार बेसिन के सबसे बड़े जलाशय मुल्लापेरियर बांध से एकाएक पानी छोड़ने के कारण हमें मजबूर होकर इदुक्की जलाशय से पानी छोड़ना पड़ा, जो कि इस बाढ़ का प्रमुख कारण है।"

मुख्य सचिव ने सुझाव दिया कि ऐसी परिस्थितियों के दुहराव से बचने के लिए, पर्यवेक्षी समिति का नेतृत्व केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष द्वारा किया जाए, जिसमें दोनों राज्यों के सचिव सदस्य के रूप में शामिल हों तथा बाढ़ या इसी प्रकार के संकट की स्थिति में समिति को बहुमत से निर्णय लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए। 

केरल सरकार ने मुल्लापेरियर बांध के दिन-प्रतिदिन के संचालन का प्रबंधन करने के लिए प्रबंधन समिति की भी मांग की, जिसका नेतृत्व सीडब्ल्यूसी के एक मुख्य अभियंता /अधीक्षक अभियंता और दोनों राज्यों के दोनों प्रमुख इंजीनियरों/अधीक्षक इंजीनियरों के द्वारा किया जाए। 

शीर्ष अदालत इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार करेगी।
 

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