कानून निलंबन का प्रस्ताव किसानों ने नकारा, कानून वापसी पर अड़े
सरकार से 10वें दौर की बातचीत के बाद रखे गए प्रस्तावों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को कई घंटों आम सभा हुई;
नई दिल्ली। सरकार से 10वें दौर की बातचीत के बाद रखे गए प्रस्तावों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को कई घंटों आम सभा हुई। तीन नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए बुधवार को मोदी सरकार द्वारा थोड़ी नरमी दिखाते हुए कानूनों को डेढ़ वर्ष तक निलंबित रखे जाने के प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया है। सरकार से 10वें दौर की बातचीत में रखे गए प्रस्तावों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को कई घंटों चली आम सभा चली, जिसमें यह फैसला लिया गया। वहींभारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने देशबन्धु से बातचीत में बताया कि सरकार के प्रस्वात को खारिज कर दिया गया है। किसान कृषि कानूनों की वापसी तक प्रदर्शन करते रहेंगे।
केेंद्र के साथ बैठक आज
लिहाजा, कल यानि 22 जनवरी को सरकार एवं किसानों के बीच होने वाली 11वें दौर की वार्ता से पहले यह फैसला आना बेहद अहम है। किसानों का कहना है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात पर वह कायम हैं। किसानों का कहना है कि यह किसान आंदोलन की मुख्य मांगें हैं और वे इस पर अडिग हैं।
बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान नेता दर्शपाल सिंह ने बयान जारी कर कहा कि मोर्चा इस आंदोलन में अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में पुलिस ने हमें दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही है, वहीं किसानों ने दिल्ली के रिंग रोड पर परेड करने की बात दृढ़ता और जोर से रखी।
हमारा आंदोलन देशव्यापी हो गया
हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा यह अब देशव्यापी हो चुका है। कर्नाटक में अनेक स्थानों पर वाहन रैलियों के माध्यम से किसान गणतंत्र दिवस के लिए एकजुट हो रहे हैं। केरल में कई जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं। उनके अनुसार, उत्तराखंड के बिलासपुर व रामपुर समेत अन्य जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च कर दिल्ली की किसान परेड की तैयारी कर रहे हैं।