बॉर्डर पर वैशाखी व अन्य दिवस मना किसानों ने आयोजित किए कार्यक्रम

कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 138 दिन हो चुके हैं और किसान अब तरह तरह के कार्यक्रम दिल्ली की सीमाओं पर करने लगे हैं;

Update: 2021-04-13 23:55 GMT

नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 138 दिन हो चुके हैं और किसान अब तरह तरह के कार्यक्रम दिल्ली की सीमाओं पर करने लगे हैं। आज किसानी त्यौहार वैशाखी के पावन अवसर पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने देश के किसानों व आम नागरिकों को शुभकामनाएं दी। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, किसान अपनी खुशहाली व लाभदायक जीवन जीने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। आज खेती घाटे का सौदा बनी हुई है। किसानों के घर में त्यौहारों से ज्यादा मातम छाया रहता है। सरकार द्वारा लाये गए तीन खेती कानून भी इसी संकट को और भी गहरा करेंगे।

"किसानों की असली वैशाखी तब मनेगी जब उसकी फसल के एक एक दाने को वाजिब दाम मिलेगा व कॉरपोरेट शोषण से मुक्ति मिलेगी।"

वहीं दिल्ली की सीमाओं पर खालसा पंथ का स्थापना दिवस सिंघु बॉर्डर पर मनाया गया।

इसी मौके पर टिकरी बॉर्डर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए जिसमें किसानों मजदूरों के साथ साथ आसपास के लोगों ने भी भाग लिया। साथ ही गाजीपुर बॉर्डर पर जलियांवाला बाग के शहीदों की याद में प्रभात फेरी और शहीदों के स्मारक पर पुष्पांजलि कार्यक्रम किया गया।

जलियांवाला बाग शहीद दिवस के अवसर पर सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने मंच से विचार चर्चा की और नाटकों और गीतों का भी प्रदर्शन किया गया।

दूसरी ओर किसान बुधवार को अम्बेडकर जयंती पर दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में दलित बहुजन पहुंचेंगे। सयुंक्त किसान मोर्चा द्वारा संविधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा, जिसमें सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत कई शख्शियत किसनों के धरनों में शामिल होंगे।

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