यूपी में किसानों की महापंचायत

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को 9 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है...लेकिन अभी तक अन्नदाताओं और मोदी सरकार के बीच सहमति नहीं बनी है...किसान बार-बार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार है कि मानने को ही तैयार नहीं हो रही...लेकिन अब केंद्र की जिद्द का असर...यूपी चुनाव में देखने को मिल सकता है...जहां अन्नदाता योगी सरकार की मुश्किल को बढ़ाने के लिए तैयार हैं...;

Update: 2021-09-04 11:48 GMT

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी ज्यादा वक्त नहीं बचा है, जिसे लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है...लेकिन किसानों का मुद्दा योगी सरकार के किए कराए पर पानी फेर सकता है...क्योंकि अब चुनाव से पहले अन्नदाताओं की हुंकार तेज होती जा रही है...वो बीजेपी के मुख्य गढ़ यूपी में सरकार को ललकारने के लिए तैयार हैं...दरअसल मिशन यूपी की शुरुआत करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत को ऐतिहासिक बनाना चाहता है... इसके लिए महापंचायत में देशभर के 300 से ज्यादा सक्रिय संगठन शामिल होंगेजिनमें करीब 60 किसान संगठन होंगे और अन्य कर्मचारीमजदूरछात्रशिक्षकरिटायर्ड अधिकारीसामाजिकमहिला संगठन शामिल रहेंगे... किसानों के 40 संगठन अहम भूमिका में रहेंगेजबकि 20 संगठन पूरा सहयोग करेंगे... महापंचायत में आने के लिए अभी तक 22 राज्यों के प्रतिनिधियों से सहमति मिल चुकी है... मोर्चा के सदस्यों को लगता है कि इस महापंचायत से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को नई दिशा मिलेगी... इसमें यूपी के बाद सबसे ज्यादा पंजाबहरियाणाउत्तराखंड और राजस्थान से किसान शामिल होंगे.. मुजफ्फरनगर की महापंचायत में हरियाणा की ज्यादातर खाप शामिल होगीजिनमें आंतिल खापदहिया खापमलिक खापसरोहा खापसमैन खापकंडेला खापहुड्डा खापजागलान खाप है...इस तैयारी से साफ है कि अबकी बार किसानों की हुंकार जोरदार होने वाली है,,,इसीलिए संयुक्त किसान मोर्चा की मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत पर सरकार से लेकर विपक्षी दलों तक की नजर है,,,,जहां योगी सरकार इससे बचना चाहती है, तो वहीं विपक्ष इसे भुनाने की कोशिश करेगा...कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की अकड़ की वजह से सीएम योगी के सामने परेशानियों का अंबार लगने वाला है

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