ऋण गारंटी योजना के विस्तार : उपराज्यपाल ने कहा, केंद्र से लेंगे राय
मनीष सिसोदिया ने आज दावा किया कि दिल्ली सरकार द्वारा उच्च शिक्षा पर विद्यार्थियों द्वारा बैंक से ऋण लेते समय गारंटी देने वाली राज्य सरकार की योजना को बैजल ने यह कहते हुए रोक दिया है;
नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज दावा किया कि दिल्ली सरकार द्वारा उच्च शिक्षा पर विद्यार्थियों द्वारा बैंक से ऋण लेते समय गारंटी देने वाली राज्य सरकार की योजना को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने यह कहते हुए रोक दिया है कि गृह मंत्रालय व संबंधित मंत्रालय से राय ली जाएगी। योजना के दो साल पहले लागू किए जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसे शुरू किया था और तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने भी योजना पर कुछ सवाल उठाये थे उसका जवाब दे दिया। इसके बाद योजना को दिल्ली से पूरे देश के संस्थानों में शिक्षण के विकल्प के तौर पर विस्तार दिया था।
श्री सिसोदिया ने कहा किहाल ही में हमने इसका दायरा बढ़ाते हुए तय किया था कि दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों में स्थित सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों में पढऩे के लिए योजना के अंतर्गत लाभ मिल सकेगा। योजना में किसी भी सरकारी संस्थान से यदि दिल्लीवासियों के बच्चे उच्च शिक्षण संस्थान में शिक्ष लेने के लिए आवेदन करते हैं और वह बैंक से ऋण लेते हैं तो सरकार उस बैंक में उनकी गारंटी लेगी।
मनीष सिसोदिया ने बताया कि अब उपराज्यपाल अनिल बैजल ने योजना पर रोक लगा दी है और तर्क दिया है कि भारत सरकार से राय ली जाएगी। उपराज्यपाल से सीधे बात करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम मिलेंगे उनसे बात करेंगे लेकिन इससे पहले मीडिया के जरिए अपील करना चाहते हैं कि हमसे राजनीतिक दुश्मनी हो सकती है लेकिन बच्चो ने क्या बिगाड़ा है? हजारों बच्चों के भविष्य को क्यों खराब करना चाहते हैं।
उन्होंने उपराज्यपाल व केंद्र को निशाने पर लेते हुए कहा कि लोकतंत्र है ये तानाशाही नही होने देंगे। भारत सरकार से राय लेने का मतलब है दो-चार साल योजना लटक जाएगी। जब मीडिया ने उनसे पूछा कि पिछले साल कितने लोन दिए तो आंकड़े न होने की बात कह कर टाल गए। लेकिन अगस्त माह में एक अतांराकित सवाल में सरकार ने जरूर बताया है कि दिल्ली हायर एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट गारंडी स्कीम के अंतर्गत 207 छात्रों के बैंकों ने ऋण स्वीकृत किए हैं। इन बैंकों ने छात्रों के लिए 6.61 करोड़ रूपए स्वीकृत किए हैं। वहीं ऋण की शर्त में सरकार ने बताया है कि यदि ऋण की वापसी में लाभार्थी विफल रहता है तो उसे आधार व पेन नंबर के जरिए किसी भी सरकारी योजना से वंचित कर दिया जाएगा।
पूरे मामले में उपराज्यपाल कार्यालय ने साफ किया कि योजना पर रोक नहीं लगाई गई है वरन् योजना को मजबूती से लागू करने के लिए केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय से कानूनी पहलुओं को सुदृढ़ करने का सुझाव दिया गया है ताकि भविष्य में कोई कानूनी अड़चन न आए। राजनिवास ने बताया कि इससे पहले भी विधि विभाग ने कुछ आशंकाएं जाहिर की थी। इसके बाद ही विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह सुझाव दिया गया है। जबकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने योजना को छलावा बताते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल का विवाद इस सरकार के पुराने खेल का हिस्सा है। जब-जब इनकी धांधली पकड़ी जाती है यह ऐसे ही शोर मचा कर जनता को गुमराह करने की कोशिश करते हैं।
श्री तिवारी ने कहा है कि हम मांग करते हैं कि उपराज्यपाल पर दोषारोपण से पहले केजरीवाल सरकार जनता खासकर छात्रों को यह बताये की इस शिक्षा लोन योजना के माध्यम से कितने छात्रों को कुल कितना लोन दिया और इसके प्रचार पर कितना पैसा लुटाया। यह शिक्षा लोन योजना केजरीवाल सरकार के एक छलावे से अधिक कुछ नही है।