नि:शक्त विद्यार्थियों को 'क्षितिज से सुनहरे भविष्य की किरणों का इंतजार
व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में मेधावी नि:शक्त विद्यार्थियों को क्षितिज अपार संभावनाएं योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2017-18 में जिले के सिर्फ 8 दिव्यांगों को इस योजना से लाभान्वित किया गया;
बिलासपुर। व्यापक प्रचार-प्रसार के अभाव में मेधावी नि:शक्त विद्यार्थियों को क्षितिज अपार संभावनाएं योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2017-18 में जिले के सिर्फ 8 दिव्यांगों को इस योजना से लाभान्वित किया गया है जबकि दिव्यांगों की संख्या 25 हजार है। समाज कल्याण विभाग योजना को लोगों तक पहुंचाने के लिए कोई विशेष कार्ययोजना तैयार कर कार्य नहीं कर पा रहा है।
गौरतलब है कि शासन ने वर्ष 2017-18 से दिव्यांगों के कल्याण के लिए क्षितिज अपार संभावनाएं योजना शुरू। पहली सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना है। जिसमें नि:शक्त मेधावी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होने प्रोत्साहित करने नकद राशि देने का प्रावधान है। प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर दिव्यांग को 20 हजार रूपए, मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण 30 हजार रूपए और पीएसी में चयनित होने पर 50 हजार रूपए देने का प्रावधान है।
इसी तरह क्षितिज अपार संभावनाएं के तहत माध्यमिक, उच्चतर विद्यालय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले नि:शक्त विद्यार्थियों एवं उच्च शिक्षा में अध्ययनरत नियमित नि:शक्त छात्रों को प्रोत्साहित राशि दिया जाता है। लाभार्थियों को 2 हजार रूपए से लेकर 12 हजार रूपए तक प्रतिवर्ष प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है।
जिले में करीब 25 हजार दिव्यांग है, लेकिन सिविल सेवा में तीन- सोनी तिवारी, संजय सांधी, कृष्ण कुमार साहू व उच्च शिक्षा केे क्षेत्र में पांच- रमेश ध्रुव, विभा वर्मा, कृष्णा यादव, अनुराग सागर, लखन लाल चेलक इस तरह सिर्फ आठ लोगों को ही क्षितिज अपार संभावनाएं योजना का लाभ मिल पाया है।
ये होंगे पात्र
योजना के तहत लाभ लेने के लिए छत्तीसगढ़ का निवासी के साथ ही 40 फीसदी नि:शक्त होना चाहिए। संघ या छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में उत्तीर्ण अभ्यर्थी हो और जिला अन्तर्गत माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में नि:शक्तजनों की श्रेणी में सर्वाधिक अंक प्राप्त किया हो। साथ ही चिकित्सा, तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा में स्नातक एवं स्नातकोत्तर अध्यनरत विद्यार्थी हो,
ऐसी है योजना
नि:शक्त व्यक्ति समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी अधिनियम 1935 के तहत नि:शक्त मेधावी व्यक्तियों को सिविल सेवा के क्षेत्र में प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना प्रारंभ की गई है। वहीं 18 वर्ष तक की आयु के नि:शक्त छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान किए जाने का प्रावधान है।